ग्लोबल एविएशन कंपनी बोइंग के लिए इन दिनों उसके विमान ही चुनौती बने हुए हैं. दरअसल, कंपनी के कई विमान रिपेयरिंग के लिए मैदान में खड़े हैं. वॉशिंगटन स्टेट फैक्ट्री में भी स्थान की कमी हो गई है. हालत यह है कि कर्मचारियों के पार्किंग एरिया में इन विमानों को खड़ा किया जा रहा है.
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- ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में करीब 500 विमान मैदान में खड़े हैं. इनमें से करीब 100 विमान तो रेंटम फैक्ट्री में ही खड़े हैं. आने वाले वक्त में कंपनी को इन विमानों को पार्क करने के लिए कोई व उपाय खोजना ही होगा.
- बोइंग 737 मैक्स की उड़ान पर कई राष्ट्रों ने प्रतिबंध लगाया है. इसका कारण इस विमान के लगातार क्रैश होने की घटनाएं हैं. शिकायतों के बाद कंपनी ने इसके सिस्टम को अपडेट करने का मन बनाया. पायलट व क्रू मेंबर्स के लिए ट्रेनिंग सेशन आयोजित करवाया.
- 10 मार्च को हुए इथियोपियन एयरलाइंस के बोइंग 737 मैक्स-8 प्लेन क्रैश में 157 लोग मारे गए थे. जाँच में इसके दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण सेंसर की गड़बड़ी बताया गया था. यह इशारा प्लेन के ब्लैक बॉक्स से मिले थे.
- अक्टूबर 2018 में भी इंडोनेशिया की लायन एयर का बोइंग प्लेन क्रैश हुआ था. इसमें 189 लोगों की जान गई थी. इस विमान हादसे की वजह भी सेंसर में गड़बड़ी होना बताई गई थी.
- बोइंग ने ब्लैक बॉक्स की जाँच के तथ्यों पर टिप्पणी करने से मना किया था. कंपनी का बोलना था कि 737 मैक्स-8 विमान के सिस्टम के सॉफ्टवेयर में सुधार किया गया है.
- अमेरिका, हिंदुस्तान समेत संसार के 57 देश बोइंग 737 मैक्स 8 विमानों पर रोक लगा चुके हैं. बोइंग ने खुद भी इन विमानों के ऑर्डर वैसे रोक दिए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक बोइंग कंपनी को इस वर्ष 35000 करोड़ रुपए के नुकसान की संभावना है.