गांधी जयंती पर 3.5 लाख कर्मियों वाले अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन लागू कराने के लिए प्रतिज्ञा ली है। रक्षा क्षेत्रों के कर्मचारियों का कहना है कि देश में एनपीएस को लागू हुए 20 वर्ष हो चुके हैं। पहली जनवरी 2004 या उसके बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों को एनपीएस में शामिल कर दिया गया। यह एक अंशदायी पेंशन योजना थी। इसके खिलाफ कर्मचारी, लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
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सरकारी कर्मचारियों को किसी भी अंशदायी पेंशन योजना के अधीन नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें गैर-अंशदायी ‘पुरानी पेंशन’ योजना का फायदा देना होगा। पुरानी पेंशन से परिवार की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है। एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से फैसला सुनाया है कि पेंशन, सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है। दुर्भाग्य से केंद्र सरकार, पुरानी पेंशन को एक दायित्व के रूप में मान रही है।यूपीएस तो किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है।
बता दें कि एआईडीईएफ 41 आयुध कारखानों, 52 डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, सैन्य इंजीनियरिंग सेवाओं, सेना, नौसेना और वायु सेना के तहत विभिन्न रक्षा इकाइयों व गुणवत्ता आश्वासन एजेंसी, डीजीक्यूए और डीजीएक्यूए में काम करने वाले 3.5 लाख रक्षा नागरिक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है।
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया, दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्र हुए कर्मचारियों ने प्रतिज्ञा ली थी कि गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना के अलावा वे किसी भी अन्य अंशदायी पेंशन योजना को स्वीकार नहीं करेंगे। कर्मचारी, एनपीएस के खिलाफ लड़ रहे हैं। अब सरकार यूपीएस ले आई है। इसमें तो कई तरह की खामियां हैं। इस योजना में तो साठ वर्ष की आयु में पेन्शन मिलेगी। पुरानी पेंशन योजना को प्राप्त करने के लिए कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए भी तैयार हैं।
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बतौर श्रीकुमार, सरकारी कर्मचारियों द्वारा बनाए गए दबाव के कारण भारत सरकार ने एनपीएस में सुधार के लिए तत्कालीन वित्त सचिव टी.वी.सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी। इस कमेटी की रिपोर्ट को एआईडीईएफ ने खारिज कर दिया है।
वजह, सरकारी कर्मचारियों की मांग एनपीएस में सुधार नहीं, बल्कि ओपीएस लागू कराना है। कर्मियों को केवल गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना की बहाली चाहिए। केंद्र सरकार ने अब 24 अगस्त को एक और अंशदायी पेंशन योजना, एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) शुरू करने के लिए टीवी सोमनाथन समिति की सिफारिश को एकतरफा मंजूरी दे दी। यूपीएस तो एनपीएस योजना से भी अधिक विनाशकारी है।