जिन लोगों के हाथों व पैरों में छह उंगलियां होती हैं, वे पांच उंगलियों वाले की अपेक्षा कार्य को ज्यादा बेहतर ढंग से अंजाम देते हैं. उनका दिमाग पांच उंगलियों वालों से ज्यादा तेज गति से कार्य करता है. साथ ही हर कार्य में बेहतर संतुलन बनाए रखता है. जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग एंड इंपीरियल कॉलेज की हालिया रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है.
शोधकर्ताओं का बोलना है कि हाथ या पैर में अलावा उंगलियां होना कोई बीमारी नहीं होती. इसे विज्ञान की भाषा में पॉलिडेक्टिली कहते हैं. ऐसा 800 में से एक आदमी को होता है.औसतन 500 में से एक आदमी सर्जरी कर इसे निकलवा भी लेता है. शोधकर्ताओं का बोलना है कि भविष्य में बनाए जाने वाले रोबोट में भी छह उंगलियों का विस्तार होना चाहिए, जिससे वह व तेज गति से कार्य कर सके.
छठवीं उंगली,अंगूठे व तर्जनी के बीच होती है
नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, छह उंगली वाले लोगों में ज्यादातर लोगों की उंगली अंगूठे व तर्जनी के बीच होती है. इससे वे अपना कार्य पांच उंगलियों वाले की तुलना में ज्यादा सरलता से कर पाते हैं. ऐसे लोग जूते के फीते बांधने से लेकर टाइपिंग करने, पुस्तक के पेज पलटने व मोबाइल या वीडियो गेम खेलने में ज्यादा गति से कार्य करते हैं.हालांकि, उन्हें हाथों में दस्ताने व पैरों में जूते पहनने में कठिनाई होती है. यूनिवर्सिटी के बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एटीने बर्डेट का बोलना है कि ऐसा अमूमन जन्मजात होता है लेकिन किसी ने इस बात की स्टडी नहीं की कि यह कितना उपयोगी होने कि सम्भावना है.
छह उंगलियों वाली स्वप्ना बर्मन ने दिलवाया था हिंदुस्तान को गोल्ड मेडल
भारत में छह उंगलियों वालों के लिए एक मिथक प्रचलित है. उनको भाग्यशाली भी माना जाता है. फिल्म एक्टर रीतिक रोशन व जानी-मानी एथलीट स्वप्ना बर्मन ने इस मिथक को ठीक साबित भी किया है. स्वप्ना बर्मन ने पैरों में छह उंगलियां होने के बावजूद 2018 में जकार्ता एशियन गेम्स के हेप्टाथलॉन में पहली बार हिंदुस्तान को गोल्ड दिलाया. उनकी पॉलिडेक्टिली तीसरे प्रकार की है, जिसमें छठी उंगली में मांस भी है व हड्डी भी. अब तक उन्होंने इसे निकलवाया नहीं है.