भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने गुरुवार को बोला कि ओलिंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों जैसी बहु खेल प्रतियोगिताएं क्रिकेट प्रतियोगिताओं से बड़ी हैं। एक किताब के विमोचन के दौरान सहवाग ने बोला कि दूसरे खिलाड़ियों को क्रिकेटरों की तुलना में बेहद कम ‘सुविधाएं’ मिलती हैं। सहवाग ने ‘उम्मीद’ नाम की किताब लांच की जिसे एपिक चैनल व रूपा पब्लिकेशन ने तैयार कराया है।
सहवाग ने कहा, ‘मैं हमेशा से सोचता रहा हूं कि ओलिंपिक व राष्ट्रमंडल खेल क्रिकेट प्रतियोगिताओं से बड़े हैं। मैं हमेशा से सोचता था कि इन खिलाड़ियों का बहुत ज्यादा अच्छी तरह ख्याल रखा जाता है, उन्हें अच्छा खाना व पोषक तत्वों के अतिरिक्त फिजियो व ट्रेनर मिलते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब मैं उनसे मिला व उन्हें जानने का मौका मिला, मैंने महसूस किया कि जो भी सुविधाएं हमें (क्रिकेटरों को) मिलती है, इन खिलाड़ियों को उनका 10 या 20 फीसदी भी नहीं मिलता। इसके बावजूद वे पदक जीत रहे हैं। हमें जो मिल रहा है वह उससे कहीं अधिक के हकदार हैं क्योंकि वे भारत के लिए पदक जीत रहे हैं।’
भारत की ओर से 1999 से 2013 के बीच 104 टेस्ट व 251 एकदिवसीय मैच खेलने वाले सहवाग ने बोला कि क्रिकेटर अपने कोचों को उतना श्रेय नहीं देते जितना अन्य खिलाड़ी देते हैं। सहवाग ने कहा, ‘क्रिकेटरों के जिंदगी में कोचों की बड़ी किरदार होती है लेकिन हम उन्हें पर्याप्त श्रेय नहीं देते। ’
उन्होंने कहा, ‘हम क्रिकेटर अपने कोच को उतना श्रेय नहीं देते जितना अन्य खिलाड़ी देते हैं। शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप देश के लिए खेलना प्रारम्भ करते हो तो क्रिकेटर अपने कोच को भूल जाते हैं क्योंकि उन्हें उनसे मिलने व बात करने का अधिक मौका नहीं मिलता। लेकिन अन्य खेलों में उन्हें प्रारम्भ से अंत तक कोच की आवश्यकता होती है व कोच भी उनके साथ बहुत ज्यादा समय बिताते हैं। ’