कई उच्च इकॉनोमी वाले देशों में हृदय रोग और स्ट्रोक की मृत्यु दर में गिरावट लगभग बंद हो गई है और कुछ देशों में यह बढ़ भी रही है। इंटरनैशनल जनर्ल ऑफ एपीडेमियोलॉजी में छपे इस अध्ययन के मुताबिक, मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हृदय रोग मृत्यु दर के रुझानों का विश्लेषण किया, जिसमें मुख्य रूप से हृदय रोग और स्ट्रोक शामिल हैं। यह अध्ययन साल 2000 से 23 उच्च आय वाले देशों पर किया गया था।
अध्ययन में पाया गया कि 35 से 74 वर्ष की आयु के लोगों के लिए हृदय रोग की मृत्यु दर अब बमुश्किल घट रही है। यहां तक कि 23 में से 12 देशों में हृदय रोग से मौतें लगातार बढ़ रही हैं। अमेरिका और कनाडाई महिलाओं में हाल के वर्षों में हृदय रोग संबंधी मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड में हृदय रोगों से होने वाली मौतों में वार्षिक गिरावट अब 20 से 50 प्रतिशत हो गई है।
मेलबर्न विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, एलन लोपेज़ ने कहा, “शोध से पाया गया कि मोटापा, या कम से कम खराब आहार, का हृदय रोगों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इनमें से हर देश में मोटापा बहुत अधिक है। ऑस्ट्रेलिया में करीब एक तिहाई वयस्क मोटापे के शिकार हैं।” शोधकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह के अलावा मोटापा हृदय रोग मृत्यु दर की मुख्य वजह है।
इन मुद्दों की अनदेखी करना हमारे भविष्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि इससे हृदय रोग से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोतरी होती जाएगी और भविष्य में एक मनुष्य की जीवन प्रत्याशा भी कम होती जाएगी।