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आखिर क्यों पड़ा महादेव का नाम ‘नीलकंठ’? जानें सावन मास शुरू होने के…

सावन महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस बार सावन महीने में 4 सोमवार पड़ रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पूरे महीने शिव उपासना नहीं कर पाते, वो सोमवार को शिव पूजन करके उनकी संपूर्ण कृपा पा सकते हैं. सावन में भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए महादेव की उपासना करते हैं, क्योंकि सावन में भगवान शिव की कृपा बहुत जल्दी प्राप्त हो जाती है. सावन में शिव पूजा का विशेष महत्व भी है. इस मास में शिव पूजा के पीछे कई धार्मिक कहानिया भी है.

पौराणिक कथा के अनुसार जब देवता और दानवों ने मिलकर समुंद्र मंथन किया तो हलाहल विष निकला. विष के प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि में हलचल मच गई. ऐसे में सृष्टि की रक्षा के लिए महादेव ने विष का पान कर लिया. शिव जी ने विष को अपने कंठ के नीचे धारण कर लिया था. यानी विष को गले से नीचे जाने ही नहीं दिया. विष के प्रभाव से भगवान भोले का कंठ नीला पड़ गया और उनका एक नाम नीलकंठ भी पड़ा.

विष का ताप शिव जी के ऊपर बढ़ने लगा, तब विष का प्रभाव कम करने के लिए पूरे महीने घनघोर वर्षा हुई और विष का प्रभाव कुछ कम हुआ, लेकिन अत्यधिक वर्षा से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने मस्तक पर चन्द्र धारण किया. चन्द्रमा शीतलता का प्रतीक है और भगवान शिव को इससे शीतलता मिली.

ये घटना सावन मास में घटी थी, इसीलिए इस महीने का इतना महत्व है और इसीलिए तब से हर वर्ष सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परम्परा की शुरुआत हुई. तो सावन में आप भी शिव का अभिषेक कीजिए. वो आपकी हर परेशानी दूर कर देंगे.

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