फर्जी पंजीकरण के खिलाफ जीएसटी अधिकारियों की ओर से देशभर में चलाए जा रहे अभियान में करीब 10,700 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है, जिन्होंने 10,179 करोड़ रुपये की कर चोरी की है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सदस्य शशांक प्रिय ने मंगलवार को कहा, फर्जी पंजीकरण के खिलाफ 16 अगस्त से शुरू हुआ दूसरा अखिल भारतीय अभियान 15 अक्तूबर तक चलेगा। इस अभियान में कर अधिकारियों ने 67,970 जीएसटीआईएन (माल एवं सेवा कर पहचान संख्या) की पहचान की है। इनमें से 59 फीसदी या 39,965 जीएसटीआईएन का सत्यापन 22 सितंबर तक हो चुका है।
सीबीआईसी सदस्य ने कहा, इनमें 27 फीसदी ऐसी कंपनियां पाई गई हैं, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। फीसदी के लिहाज से यह संख्या पिछले अभियान की तुलना में करीब समान है। उन्होंने बताया, फर्जी पंजीकरण के खिलाफ पहला अभियान 16 मई से 15 जुलाई, 2023 के बीच चलाया गया था। इसमें जीएसटी पंजीकरण वाली कुल 21,791 ऐसी कंपनियां पाई गई थीं, जो अस्तित्व में नहीं थीं। इस अभियान में 24,010 करोड़ रुपये की संदिग्ध कर चोरी पकड़ी गई थी।
2,994 करोड़ की आईटीसी रोकी, वसूली 22 करोड़
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के कार्यक्रम में शशांक प्रिय ने कहा, दूसरे अभियान में 2,994 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को रोका गया है। साथ ही, 28 करोड़ रुपये की वसूली भी की गई है। उन्होंने कहा, जीएसटी व्यवस्था में बेमेल आंकड़ों की समस्या है। इस कारण 2023-24 में कर अधिकारियों ने 1,12,852 कारण बताओ नोटिस जारी किए थे।
जोखिम प्रोफाइल के आधार पर पाबंदियां लगा सकेंगे अधिकारी
सीबीआईसी अधिकारी ने कहा, प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी संभव तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। कर अधिकारी भविष्य में नए करदाताओं पर उनके जोखिम ‘प्रोफाइल’ के आधार पर कुछ पाबंदियां भी लगा पाएंगे। वे एक महीने में कितने बिल जारी कर सकते हैं, हम भविष्य में उसपर भी कुछ पाबंदियां लगा सकते हैं।