चेन्नई: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हस्तक्षेप के बाद श्रीलंकाई अधिकारियों ने अपने क्षेत्रीय जल में अवैध शिकार के आरोप में दिन में हिरासत में लिए गए तमिलनाडु के 22 ढो (देशी नाव) मछुआरों को शनिवार रात रिहा कर दिया। श्रीलंकाई पक्ष द्वारा जब्त किए गए दो देशी नाव को भी छोड़ दिया गया और मछुआरों को अपने जहाजों पर वापस जाने की अनुमति दी गई।
बता दें कि, सीतारमण अगले दिन प्रधानमंत्री की स्वनिधि (पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भरनिधि) के तहत कल्याणकारी उपायों को वितरित करने के लिए शनिवार रात को रामेश्वरम आई थीं। इसकी जानकारी होने पर कंट्री बोट फिशरमेन वेलफेयर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष एसपी रायप्पन के नेतृत्व में मछुआरा नेताओं ने उनसे मुलाकात की और मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क किया और उनसे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
रयप्पन ने बताया कि, ‘उन्होंने (सीतारमण) शनिवार रात ही श्रीलंका के कुछ लोगों सहित महत्वपूर्ण लोगों को फोन किया और हमें आश्वासन दिया कि गिरफ्तार मछुआरों को रिहा कर दिया जाएगा। हम शुरुआत में सशंकित थे, लेकिन हमारे मछुआरों ने आधी रात के आसपास श्रीलंका से फोन करके हमें बताया कि उन्हें रिहा कर दिया गया है। हम उन्हें (सीतारमण को) पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकते।”
वहीं, श्रीलंकाई पक्ष, जो आमतौर पर मन्नार की खाड़ी और पाक खाड़ी में अपने पारंपरिक मछली पकड़ने के मैदान में मछली पकड़ने वाले देशी नाव मछुआरों को परेशान नहीं करता है, ने सीतारमण के हस्तक्षेप पर सद्भावना संकेत के रूप में उन्हें रिहा करने का फैसला किया। श्रीलंकाई नौसेना रिहा किए गए मछुआरों को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पर ले आई और उन्हें भारतीय तटरक्षक बल को सौंप दिया।