केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यह बहुत जरूरी खबर है. यह इसलिए जरूरी है क्योंकि यह डीए (महंगाई भत्ते) से जुड़ी है. सब कुछ ठीक रहा तो केंद्रीय कर्मचारियों को भविष्य में अच्छा खास महंगाई भत्ता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा.
उम्मीद है कि केंद्र सरकार दिवाली से पहले ही केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ा सकती है. यह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी CPI-IW के बेस ईयर यानी आधार वर्ष में बदलाव करने से संभव हो सकेगा. अगर सरकार इस आधार वर्ष को 2016 कर देती है तो कर्मचारियों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ते में इजाफा होना तय है. इस परिवर्तन से देश के 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को सीधे तौर पर फायदा होगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह माना जा रहा है कि आगामी 21 अक्टूबर को सरकार इस उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार वर्ष में परिवर्तन कर सकती है और इस संबंध में डिटेल जानकारी जारी कर सकती है. इस वर्ष के आरंभ में केंद्र सरकार ने डीए के भुगतान को हरी झंडी दे दी थी और प्रक्रिया भी शुरू होने वाली थी, लेकिन मार्च में कोरोना महामारी के चलते लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान डीए के भुगतान पर रोक लगा दी गई. यह रोक वर्ष 2021 तक के लिए लगाई गई है. वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को जो महंगाई भत्ते का भुगतान किया जा रहा है, वह 17 प्रतिशत है. पिछले दिनों ही सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए दिवाली प्री-पेड उपहार घोषित किया था. इस शॉपिंग कार्ड का उपयोग कर्मचारी 31 मार्च, 2021 तक कर सकते हैं.
अब 21 अक्टूबर पर निगाहें
केंद्रीय कर्मचारियों की निगाहें अब 21 अक्टूबर को होने वाले निर्णय पर हैं. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार इस दिन नया सीपीआई-आईडब्ल्यू सूचकांक जारी कर सकते हैं. यदि यह बदल दिया जाता है तो कर्मचारियों का वेतन बढऩा तय है क्योंकि वेतन एवं डीए का आकलन इस सीपीआई-आईडब्ल्यू पर ही आधारित होता है. जब इसे आधार वर्ष में परिवर्तित किया जाता है तो सीधा महंगाई भत्ते पर प्रभाव पड़ता है. उम्मीद यह भी जताई जा रही है कि सीपीआई-आईडब्ल्यू के आधार वर्ष को बदलने से निजी क्षेत्र के कामगारों के न्यूनतम वेतन में भी इजाफा होगा.
क्या होता है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एक महत्वपूर्ण मापदंड है. इसका इस्तेमाल सेवाओं एवं वस्तुओं की एवरेज वैल्यू यानी औसत मूल्य के माप के लिए किया जाता रहा है. वस्तुओं एवं सेवाओं के एक स्टैंडर्ड ग्रुप की औसत मूल्य की गणना करके इसका कैल्क्युलेशन किया जाता है. इसका इस्तेमाल अर्थव्यवस्था में खुदरा मुद्रास्फीति का आकलन करने एवं कर्मचारियों के डीएम (महंगाई भत्ते) की गणना के लिए भी होता है.