फसलों को नुकसान से बचाने के लिये कीटनाशकों का प्रयोग आम बात है, लेकिन कुछ कीटनाशक इतने जहरीले होते हैं, जिसका असर कई दिनों तक देखा जाता है और इसका दुष्परिणाम सामान्य लोगों को भुगतना पड़ता है. लेकिन अब केन्द्र सरकार ने खेती के काम में आने वाले 27 कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का निर्णय ले लिया है और इसके लिए अधिसूचना का मसौदा जारी कर दिया गया है.
सरकार ने इस पर लोगों को चर्चा करने और अपनी राय देने के लिए 45 दिनों का समय दिया है और जैसी कि संभावना थी, कीटनाशक उद्योग अपनी पूरी ताकत से इस अधिसूचना के खिलाफ हर तरह की लॉबिंग कर रहा है. वहीं रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने भी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को पत्र लिख कर इस कदम का विरोध किया है.
वहीं उद्योग जगत का आरोप है कि सरकार का यह फैसला जल्दबाजी में उठाया गया है. लेकिन यदि देखा जाए तो इस अधिसूचना की नींव यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में 8 जुलाई 2013 को तब पड़ गई थी, एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर उसे नियोनिकोटिनॉयड्स के इस्तेमाल पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. बाद में इस समिति का मैंडेट बढ़ाकर उसमें 66 कीटनाशकों को शामिल कर दिया गया. इस समिति ने 9 दिसंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट दी, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने 14 अक्टूबर 2016 को स्वीकृति दे दी.
समिति की सिफारिशों के आधार पर 18 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया और अब सरकार के ताजा कदम को पिछले फैसले का ही अगला चरण मानना चाहिए, जिसके तहत 27 और कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है. शेष बचे 21 में से 6 कीटनाशक समीक्षा के दायरे में हैं, जबकि 15 को इस्तेमाल के लिए सुरक्षित माना गया है.
बताया जा रहा है कि प्रतिबंध के लिए प्रस्तावित इन 27 कीटनाशकों में 4 कार्बोसल्फान, डिकोफोल, मेथोमाइल और मोनोक्रोटोफॉस हैं, जो अत्यंत जहरीले होने के कारण पहले से ही रेड कैटेगरी में हैं. इनमें मोनोक्रोटोफॉस वही दवा है, जिसका छिड़काव करते समय 2017 में महाराष्ट्र के यवतमाल, नागपुर, अकोला और अमरावती में कई किसानों की मौत हो गई थी और सैकड़ों बीमार हो गये थे. इसी जहरीली दवा के अवशेषों की मिलावट से 2013 में बिहार के एक स्कूल में मिड-डे मील खाकर दर्जनों बच्चे असमय काल के गाल में समा गये थे.
फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गंेनाइजेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन लंबे समय से इस खतरनाक दवा को बंद करने की सिफारिश कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत में वर्षों से इसका उत्पादन भी हो रहा है, प्रयोग भी और निर्यात भी. ये सारे के सारे ऐसे कीटनाशक हैं जो अमेरिका और यूरोप के अधिकतर देशों में प्रतिबंधित हैं.