आज से ठीक 18 साल पहले यानी 11 सितंबर 2001 को आतंकवादियों ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका पर एक ऐसा हमला किया था, जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। इन हमलों में लगभग 3,000 लोग मारे गए थे। हमले ने ऐसी तबाही मचाई थी कि उस मंजर को देखने वाले कभी भूल नहीं सकते। आतंकियों ने हवाई जहाज को मिसाइल के रूप में इस्तेमाल किया था।
दरअसल, 11 सितम्बर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर आतंकी संगठन अल-क़ायदा ने जो हमला किया था, वह आत्मघाती हमलों की श्रृंखला थी। उस दिन सवेरे, 19 अल कायदा आतंकवादियों ने चार यात्री विमानों का अपहरण किया था। आतंकियों ने दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर , ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा भवनों के अंदर काम करने वाले अन्य अनेक लोग भी मारे गए थे। दोनों बड़ी इमारतें 2 घंटे के अंदर ढह गई थीं।
यह हमला कितना बड़ा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस हमले में लगी आग को बुझाने में लगभग 100 दिन का समय लगा था। इस हमले में ट्विन टावर में 90 से ज्यादा देशों के नागरिक मारे गए थे। 11 सितंबर को अलकायदा के एक ग्रुप ने 9 बजे वर्जीनिया से लॉस एंजेल्स जा रहे विमान को हाईजैक कर पेंटागन की इमारत से टकरा दिया था। अमरीकी अधिकारियों के मुताबिक विमान पेंटागन के पहले और दूसरी मंजिल के बीच गिरा, जिसमें 184 लोग मारे गए थे। इस दिन अमेरिका से तीन विमान हाईजैक हुए थे। हाईजैकर्स ने एक विमान को पेंटागन की इमारत से टकरा दिया था वहीं दूसरे विमान को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत से टकरा दिया था। हाईजैक हुआ तीसरा विमान एक खाली जगह पर कैश हो गया था।