Breaking News

अब बीजेपी से ज्यादा सपा और बसपा बनेगी कांग्रेस का अगला निशाना, अखिलेश के विरुद्ध शुरू किया…

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी राजनैतिक चाल बदल ली है. उसके एजेंडे में अब बीजेपी से ज्यादा सपा और बसपा आ गई है. इन दोनों में से भी सबसे ज्यादा फोकस कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी पर लगाना शुरू कर दिया है. अखिलेश यादव पर कांग्रेस के हमले इस बात की गवाही दे रहे हैं.

अखिलेश के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में जो कुछ भी हुआ उससे कांग्रेस का एजेंडा साफ हो जाता है. आजमगढ़ में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध करने वालों पर जब पुलिस की कार्रवाई हुई तो कांग्रेस को अखिलेश यादव पर हमले का एक बड़ा मौका मिल गया. अखिलेश के आजमगढ़ न जाने को कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया और आनन-फानन में प्रियंका गांधी ने वहां का दौरा भी कर लिया. प्रियंका गांधी से वहां की महिलाओं ने सपा विधायक पर साथ न देने की शिकायत भी की.

जितना हो सके सपा पर हमले की बनीं रणनीति

कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो नेतृत्व ने अपने कार्यकर्ताओं को साफ कर दिया है कि जितना हो सके उतना सपा पर हमले करो. ऐसा उस पार्टी के साथ हो रहा है जिसके साथ मिलकर राहुल गांधी ने चुनावी रैलियां की थीं. यूपी को साथ पसंद है का नारा आपको याद ही होगा जब एक ही गाड़ी पर राहुल और अखिलेश साथ साथ चुनावी मौसम में निकले थे. लेकिन, अब कांग्रेस को लगने लगा है कि उसके वोट बैंक को भाजपा से ज्यादा सपा और बसपा ने हथिया रखा है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. जैसे जैसे सपा और बसपा का ग्राफ यूपी में बढ़ता गया कांग्रेस का ग्राफ नीचे गिरता गया. खासकर समाजवादी का तो उदय ही कांग्रेस के पतन पर हुआ. ऐसा नहीं है कि भाजपा ने उसे राजनीतिक डेण्ट नहीं मारा लेकिन मोटा नुकसान तो सपा और बसपा ने ही उसे पहुंचाया.

बीजेपी से ज्यादा सपा और बसपा ने कांग्रेस को पहुंचाया नुकसान

समाजवादी पार्टी के गठन से पहले और उसके बाद के चुनावी आंकड़े इस बात की गवाही भी देते हैं. 1991 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अविभाजित यूपी की 425 सीटों में से 413 पर चुनाव लड़ी थी. इसमें उसे 17.59 फीसदी वोट मिले जबकि जनता दल को (इसी से टूटकर समाजवादी पार्टी 1992 में बनी थी ) 21 फीसदी और बसपा को महज 10.26 फीसदी वोट मिले. इस चुनाव तक कांग्रेस को अपर हैण्ड था. लेकिन, समाजवादी पार्टी के अस्तित्व में आने के साथ ही कांग्रेस खत्म होते चली गयी. 1993 में हुए मध्यावधि चुनाव में भी कांग्रेस का वोट शेयर गिरकर 17 से 15 फीसदी रह गया. 1996 में पार्टी को थोड़ा सहारा मिला.

About News Room lko

Check Also

जीवन में आगे बढ़ने का गुण है विनम्रता और संघर्ष- लल्लू सिंह

अयोध्या। पूर्व सांसद लल्लू सिंह द्वारा गुरुवार को अयोध्या लखनऊ हाइवे पर त्रिमूर्ति होटल के ...