जम्मू-कश्मीर में सरकारी योजनाओं का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। बिजली, शौचालय और स्वास्थ्य सुविधाएं आज घरों तक पहुंच रही हैं। दूरदराज क्षेत्र के लोग भी मान रहे हैं कि पहली बार योजनाएं फाइलों से बाहर निकली हैं। शायद यह अनुच्छेद 370 हटने का चमत्कार है। राज्य में तेजी से हो रहे विकास कार्यो से आमजन खुश हैं। आलम यह है कि कश्मीर के कुपवाड़ा के टंगडार में 70 साल में जो घर बिजली की रोशनी से वंचित थे, अब रात में जगमगाते हैं। अख्तर बीबी और उन जैसी महिलाओं को शौच के लिए अंधेरे में घर से नहीं निकलना पड़ता।
मंजीत सिंह को अपने पिता के इलाज को सरकारी मदद के लिए न किसी विधायक के पास चक्कर काटने पड़े और न नौकरशाहों के दफ्तर में अर्जी लेकर घूमना पड़ा। पिछले डेढ़ साल में जम्मू-कश्मीर में मौलिक सुविधाओं के विकास ने जो गति पकड़ी है, उससे आमजन खुश हैं।जम्मू-कश्मीर अब दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में बंट चुका है। जून 2018 में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार भंग हुई थी। इसके बाद राज्यपाल शासन लागू हो गया।
31 अक्टूबर 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल के पास प्रशासनिक कमान है। विकास योजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूरा करने के लिए संबधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए कामकाज की समीक्षा की जा रही है। इसका असर विभिन्न इलाकों में आम लोगों के जीवन में आ रहे बदलाव से समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जम्मू-कश्मीर में जनयोजनाओं की प्रगति को सराहा है। उन्होंने खुद और ट्वीट कर भी जम्मू-कश्मीर में डेढ़ साल में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2.5 लाख शौचालयों के निर्माण और 3.3 लाख घरों में बिजली के कनेक्शन देने की पुष्टि की है।