लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि मा. सर्वोच्च न्यायालय ने लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा के आरोपियों के पोस्टर के हटाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और अग्रिम सुनवाई के लिए बड़ी बेंच को अग्रसारित कर दिया है।
इससे साबित हो गया कि तानाशाही रवैये पर लोकतंत्र की जीत हुयी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 9 मार्च को दिये मा. उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी जिसमें योगी सरकार की मनमानी नहीं चल सकी और योगी सरकार का घमण्ड चूर-चूर हो गया।
डाॅ. अहमद ने कहा कि पूर्व में भी योगी सरकार को मा. उच्च न्यायालय ने फटकार लगायी है चाहे वह गन्ना भुगतान का मामला हो, शिक्षा का मामला हो या फिर अन्य कोई लेकिन बार बार योगी सरकार ने मा. हाईकोर्ट के आदेषों की अवहेलना ही की है।
उन्होंने योगी सरकार को मशविरा देते हुये कहा कि उ.प्र. सरकार को तानाशाही रवैया तथा हठधर्मिता को त्यागकर कानून का राज स्थापित करने में अपनी जिम्मेंदारी का अहसास करना चाहिए और मा. उच्च न्यायालय तथा मा. सर्वोच्च न्यायालय के आदेषों का पालन करना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री जी को अगला कदम उठाने से पहले कानून की किताब पर एक नजर अवश्य डालनी चाहिए।