हमारे शरीर में बीपी की समस्या को नजरअंदाज करना दिमाग के लिए गंभीर नुकसान ला सकता है। कई मामलों में बीपी की दवा लेने में लापरवाही से मरीज को ब्रेन हैमरेज जैसी गंभीर स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए बीपी के मरीजों को डॉक्टर्स दवाइयों को हमेशा जारी रखने की सलाह देते हैं। अगर रूटीन चैकअप और दवाइयां जारी रखें तो ब्रेन हैमरेज के खतरे को टाला जा सकता है।
दवाओं में लापरवाही से बढ़ता है खतरा —
नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. केके बंसल ने बताया कि बीपी के इलाज में दवाएं लेने में या बीपी के रूटीन चेकअप में लापरवाही बरतने से ब्रेन हैमरेज का खतरा बढ़ता है। हाई बीपी होने से दिमाग में रक्त का संचार करने वाली नसें फट सकती हैं जिससे मरीज को ब्रेन हैमरेज हो सकता है। ज्यादातर मरीज बीपी होने पर डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं नियमित रूप से नहीं लेते। बीपी ठीक रहने या बिगडऩे पर दवाएं छोड़ते या वापस लेना शुरू कर देते हैं। वहीं नियमित रूप से बीपी भी चेक नहीं कराते। जबकि एक बार बीपी की दवाएं शुरू होने पर उन्हें जीवनभर लेना होता है।
वॉर्निंग लीक को ठीक करना बेहद जरूरी —
डॉ केके बंसल बताते हैं कि, ब्रेन हैमरेज होने पर दिमाग में प्रभावित हिस्से की एंजियोग्राफी की जाती है। कई बार दिमाग की नस बहुत कम लीक करती है जिसे कई डॉक्टर्स पकड़ नहीं पाते। इस स्थिति को वॉर्निंग लीक कहा जाता है। वॉर्निंग लीक मरीज के लिए चेतावनी होती है जिसे ठीक नहीं किया जाए तो वह भविष्य में विकराल रूप ले सकती है। ऐसे मामलों में 10 से 15 दिनों में फिर से अटैक आता है मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है। दिमाग में नसों का गुच्छा बन जाने पर रक्त का संचार बाधित होता है और मरीज के इतना तेज दर्द होता है कि वह बेहोश हो जाता है। यह स्थिति एन्युरिज्म की होती है।
प्रसव पीड़ा से भी तेज होता है यह दर्द —
डॉ. केके बंसल ने बताया कि यदि ऐसा सिर दर्द किसी महिला को हो और उनसे इस दर्द के बारे में पूछा जाए तो वह इसे प्रसव पीड़ा से भी तेज दर्द बताएंगी। दर्द की इकाइयों में प्रसव पीड़ा को सबसे ज्यादा दर्द माना जाता है लेकिन दिमाग की नस फटने पर इससे भी तेज दर्द होता है। बीपी को नियंत्रित न करने से मरीज को कई स्थायी नुकसान हो सकते हैं। दिमाग में बीपी से प्रेशर बढऩे से मरीज को लकवा होने, आंखों की रोशनी या आवाज चले जाने जैसी गंभीर स्थिति आ सकती है। इसीलिए बीपी की दवाएं नियमित रूप से लेती रहनी चाहिए जिससे ब्रेन हेमरेज की संभावना को कम किया जा सके।