सुप्रीम कोर्ट ने सभी सेवारत शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने के अपने फैसले को लागू करने के लिए केंद्र को मंगलवार 7 जुलाई को एक और माह का समय दे दिया है. कोर्ट ने कहा कि एक महीने के भीतर केंद्र सरकार इसका अनुपालन करें. इससे पहले कोर्ट ने 17 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले में निर्देश दिया था कि सेना में सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन और कमांड पोस्टिंग दी जाए.
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र को उसके फैसले में दिए गए सभी निर्देशों का अनुपालन करना होगा. शीर्ष अदालत का यह निर्देश केंद्र की ओर से दायर एक आवेदन पर आया, जिसमें उसने कोविड-19 वैश्विक महामारी का हवाला देकर फैसले के क्रियान्वयन के लिए छह माह का समय मांगा था.
क्या है मामला- सेना में स्थायी कमीशन पाने से वंचित रह गई महिला अधिकारियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट फरवरी में अपना फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए केंद्र सरकार को फटकार इस मसले पर फटकार लगाई थी. साथ ही केंद्र को फैसला लागू करने के लिए तीन महीने की मोहलत दी थी.
इस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए, क्योंकि सशस्त्र बलों में लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार की ओर से मानसिकता में बदलाव जरूरी है. साथ ही कहा कि सेना में महिला अधिकारियों को कमान पोस्ट देने पर पूरी तरह रोक अतार्किक और समानता के अधिकार के खिलाफ है.
कॉम्बैट विंग में नहीं होगा लागू
बता दें कि स्थाई कमीशन का फैसला सेना के कॉम्बैट विंग में लागू नहीं किया जाएगा. कॉम्बैट विंग वो विंग होता है, जो युद्ध के दौरान फ्रंटफुट पर होता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन का फैसला कॉम्बैट विंग में लागू नहीं किया जाएगा.