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यमुना का जलस्तर बढ़ा, प्रशासन सतर्क

औरैया। यमुना का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, बुधवार की शाम जिले में जलस्तर करीब 109 मीटर पर पहुंच गया। जिससे यमुना किनारे गांवों में रहने वालों की नागरिकों चिंतित हो उठे हैं हालांकि प्रशासन किसी भी परिस्थिति से निवटने के लिए सतर्क हो गया है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मंगलवार की शाम तक यमुना में जलस्तर ने 107.75 मीटर तक आमद दर्ज करायी थी, जो कि आज शाम तक करीब 109 मीटर तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि जनपद में 112 मीटर पर चेतावनी एवं 113 मीटर पर खतरे का निशान है। उन्होंने बताया कि हरियाणा के हथिनीकुण्ड बैराज से यमुना में और राजस्थान के कोटा बैराज से चम्बल में छोड़े गये पानी से यमुना में जलस्तर का बढ़ना लगातार जारी है। सूत्रों की मानें तो मंगलवार को जहां जलस्तर 107.75 मीटर को पार कर गया था।

वहीं बुधवार को जलस्तर में बढ़ोत्तरी होकर करीब 109 मीटर को छूने लगा है। यदि इसी गति से जलस्तर बढ़ता रहा तो पिछले साल की तरह ही यमुना किनारे बसे कई गांवों के लोगों को विस्थापित होने के लिये मजबूर होना पड़ जायेगा।

वैसे मंगलवार की तुलना में आज जलस्तर की वृद्धि धीमी रही, मंगलवार को जहां जलस्तर में अचानक चार मीटर की वृद्धि हुई थी वहीं आज एक मीटर से कुछ अधिक ही वृद्धि हुई है कहा जा सकता है कि बुधवार शाम को यमुना नदी के पानी में स्थिरता दिखने लगी है। तो वहीं चंबल से पानी के माध्यम से यमुना में भारी मात्रा में पहुंची मछलियों का शिकार करने के लिए सुबह शाम तक नदी के दोनों किनारों पर भारी संख्या में अवैध रुप से मछली पकडने वालों का जमावड़ा लग गया, जिसके चलते यमुना नदी में जाल डालकर मछलियों को पकडने का सिलसिला जारी रहा।

यही नहीं एक तरफ अवैध रुप से मछलियां पकड़ी जा रहीं थीं, तो दूसरी ओर नदी के दूसरे छोर पर जालौन जिले की सीमा पर मछलियों की धड़ल्ले से बिक्री भी चलती रही। जबकि जिला प्रशासन की ओर से अगस्त माह में मछलियों को पकडने की स्पष्ट रुप से मनाही होने के बाद भी यह अवैध कारोबारी अपने मकसद को अंजाम देने में लगे हुए हैं। केंद्रीय जल आयोग कर्मचारियों के मुताबिक मंगलवार की शाम छह बजे के बाद से यमुना नदी में जलस्तर बढने का क्रम 20-25 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से घटकर 10-12 सेमी ही रह गया था।

उधर आज उपजिलाधिकारी सदर रमेश यादव व उपजिलाधिकारी अजीतमल रमापति ने अपने अपने क्षेत्र के पूर्व में बाढ़ रहे गांवों का भ्रमण किया, यही नहीं विगत वर्ष में यहां पर बाढ़ विस्थापितों को ठहराया गया था उन स्थानों पर जाकर साफ सफाई आदि कराने व भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए तैयार रहने के निर्देश दिये। इसके अलावा गोताखोरों व नावों को भी चिन्हित किया गया है ताकि अवश्यकता पड़ने पर उनकी मदद ली सके।

रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर

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