प्रतापगढ़। सूत्रों की मानें तो भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता जिला आलाकमान के रवैये पर जिला पंचायत चुनावों में अपनी सहभागिता को लेकर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
इस बाबत जिला पंचायत वार्डों में बनाए गए प्रभारियों व मंडल अध्यक्षों का कहना है कि उनकी स्थिति काठ के उल्लू जैसी है, वार्डों में प्रत्याशियों के चयन को लेकर उनके सुझावों को दरकिनार करते हुए जिला आलाकमान व माननीयों की मिलीभगत से मनमाने तरीक़े से प्रत्याशियों के पैनल चयन के लिये दबाव बनाकर सुनियोजित तरीक़े से कुछ दलाल एवं चाटुकार लोगों से पैसा लेकर उनका नाम सूची में रखा जा रहा है।
सूचना यह भी है कि जिला आलाकमान एक चंद रोज बसपा से भाजपा में आये नेता के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की सारी चक्रव्यूह की रचना की है, जबकि उनका मतदाता सूची में नाम बढ़वाने को लेकर ग्राम प्रधान द्वारा आपत्ति किए जाने के बावजूद उनका नाम मतदाता सूची बाहर कर दिये जाने का आदेश हो गया है। जिला पंचायत के कई ब्लाक (रानीगंज, सदर, सांगीपुर, मान्धाता, संडवाचंदिका, कुंडा, लक्ष्मणपुर, बाबागंज, लालगंज, मंगरौरा, आसपुर देवसरा आदि) वार्डों में आपत्तिजनक लोगों के नाम प्रत्याशी चयन के लिए पैनल में डाले जाने से कार्यकर्ताओं में काफ़ी आक्रोश है। सूत्रों की मानें तो वार्डों में बनायी गई चयन समितियों पर जिला आलाकमान एवं माननीयों ने दबाव डालकर कर्मठ कार्यकर्ताओं के नाम संभावित प्रत्याशी सूची से बाहर करा दिया है।
वहीं जिला पंचायत सदस्य के लिए आला कमान ऐसे लोगों पर दाँव खेलने जा रहा है जिनका सोशल मीडिया पर कई विपक्षी नेताओं के साथ फ़ोटो और वीडियो वायरल हो रहा है। ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि जहाँ जिला आलाकमान प्रदेश संगठन नेतृत्व की आँखों में धूल झोंक रही हैं, वहीं भाजपा संगठन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव के पूर्व सेमीफ़ाइनल मानकर चल रही है। कहीं ऐसा ना हो कि पंचायत चुनाव में अपनाया जा रहा यह प्रयोग 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए विफलता का कारण बन जाए।