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“मित्र” तो नहीं बल्कि अत्याचार और अन्याय का पर्याय जरूर बन गई है पुलिस : अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जी और डीजीपी साहब चाहे जितने प्रवचन दें पुलिस की कार्यशैली बदलने वाली नहीं है। भाजपा सरकार के जंगलराज में पुलिस मित्र तो नहीं बन सकी, अत्याचार और अन्याय का पर्याय जरूर बन गई है। अपराधियों को जरा भी खौफ नहीं रह गया है। वे बेखौफ हो भी क्यों न जब पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी भी उनकी साजिशों में शरीक हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश में जनता के जानमाल की सुरक्षा नहीं रह गई है।

अलीगढ़ में ज्वैलर्स के यहां गनप्वाइंट पर 35 लाख के गहने और 40 हजार की नकदी लूट कर अपराधी फरार हो गए। इस दिनदहाड़े हुई लूट से जनता अपने को असुरक्षित महसूस करती है। लोगों में भय है कि अब भाजपा राज में उनकी सुरक्षा नहीं हो सकती है। यह प्रदेश में ध्वस्त कानून व्यवस्था की ज्वलंत मिसाल है।

लोगों में असुरक्षा और दहशत के पीछे यह भी कारण है कि स्वयं प्रशासन में ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी भी अपराधियों के संरक्षणदाता बन रहे हैं। आईएएस-आईपीएस जब दबंगों और जनता को ठगी से लूटने वालों की तरफदारी करेंगे तो जनता किससे न्याय की आशा करे? बिजनौर में तो एक महिला पुलिसकर्मी को अपने एएसपी से ही खतरा लगा है तो फिर कहां है कानून का राज? महिला पुलिस ही सिस्टम में बैठे भेडियों से सुरक्षित नहीं तो किस मुंह से महिला सम्मान या बेटी बचाओं की बातें भाजपा सरकार में हो रही है?

ललितपुर में पुलिस पर 20,000 रूपये, मोबाइल छीनने का आरोप लगाने वाले रामू कुशवाहा ने आखिर सुनवाई न होने पर फांसी लगाकर जान दे दी। मुख्यमंत्री जी के गृह जनपद गोरखपुर के पीपीगंज थाने की पुलिस ने महिला की फरियाद नहीं सुनी तो आहत महिला ने ज़हर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। राजधानी लखनऊ में आकर कई परिवार अपने जिले में न्याय न मिलने पर आत्महत्या का प्रयास करते रहे हैं। आगरा में एक किशोरी को अगवा कर हत्या कर दी गई। रायबरेली में पुलिस चैकी के पास किसान का शव मिला। सीतापुर में मंदिर में पूजा करने गए रिटायर्ड टीचर कमलेश मिश्रा की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गईं।

उत्तर प्रदेश में फर्जी एनकाउण्टर और हिरासत में मौतों की तमाम घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेकर मानवाधिकार आयोग प्रदेश की भाजपा सरकार को कई नोटिसें भेज चुका है। लेकिन पुलिस को न सुधरना था, न सुधरना है। पुलिस हिरासत में अभी एक और दर्दनाक घटना प्रकाश में आई है। कन्नौज में सराय चौकी में पुलिस ने हिरासत में रखकर एक युवक की बर्बरता से पिटाई की। इस घटना से बुरी तरह आहत और अपमानित महसूस कर रहे उसके पिता सेवानिवृत्त लेखपाल बैजनाथ कठेरिया की हृदयगति रूकने से मौत हो गई। वे अपने बेटे का आर्त्तनाद सुनकर व्यथित थे। उनके बेटे को बिना मुकदमा दर्ज किए हवालात में रखकर थर्ड डिग्री टार्चर किया जा रहा था।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के ठोको आर्डर पर कानून को धता बताते हुए हिरासत में हत्या, फर्जी एनकाउण्टर, लूट और हत्या की बढ़ती घटनाओं पर पुलिस के गैर जिम्मेदाराना और संवेदनहीन व्यवहार के कारण देश ही नहीं विदेशों तक में राज्य की बदनामी हो रही है। भाजपा सरकार अपने ही बोए को काटेगी। जनता को तो बस सन् 2022 में अपने मताधिकार का प्रयोग करने का इंतजार है।

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