उन्नाव गैंगरेप मामले में आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ 260 दिन बाद एसआईटी जांच के बाद केस दर्ज किया गया। जिसके बाद यूपी सरकार ने सीबीआई जांच का फैसला लिया। इस केस की जांच अब सीबीआई के हवाले कर दी गई है। इससे पहले कल हुई एसआईटी जांच पर पुलिस, प्रशासन और अस्पताल स्तर पर बड़ी लापरवाही बरतने का आरोप लगा है।
- लेकिन आरोपी विधायक की गिरफ्तारी के सवाल पर यूपी के डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि वह अभी सिर्फ आरोपी हैं।
- उनकी गिरफ्तारी का फैसला सीबीआई करेगी।
Fake FIR आरोप में गिरफ्तारी बनती है और उसे मौत के घाट उतारना क्या गलत नहीं, लेकिन डीजीपी ने कहा आरोपी की गिरफ्तारी सीबीआई के फैसले पर
उत्तर प्रदेश सरकार और शासन प्रशासन की मंशा का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि एक डीजीपी का कहना है कि आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर अभी सिर्फ आरोपी हैं। उनकी गिरफ्तारी का फैसला सीबीआई करेगी। लेकिन एक फर्जी केस में गिरफ्तारी बनती है। उसकी मौत के लिए विधायक की सह पर पुलिस प्रशासन की सहायता भी बनती है। हद तो तब पार हो गई जब जनता की सेवा करने का संकल्प लेने वाला विधायक खुद फर्जी केस में एक रेप पीड़िता के पिता को मौत के घाट उतारने के लिए पूरा सहयोग में संलिप्त रहा। यहां तक कि आरोप को दबाने के लिए घर में घुसकर परिवार के सदस्यों के सामने बाप को मारा और जान से मारने की धमकी दी थी।
- इसके बाद अंत में मौत की नींद सुला दिया गया।
आरोपी विधायक अभी दोषी साबित नहीं
यूपी डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि आरोपी विधायक के खिलाफ अभी दोष साबित नहीं हुए हैं। इसलिए उनके खिलाफ अभी आरोप ही लगे हैं। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। पीड़िता की मां की तहरीर के आधार पर आरोपी विधायक पर आईपीसी की धारा 363, 366, 376, 506 और पॉक्सो कानून के तहत केस दर्ज किया गया है। इस केस की जांच की सिफारिश सीबीआई से की गई है।
- इस मामले की जांच अब सीबीआई ही करेगी और विधायक को गिरफ्तार करना है या नहीं इसका निर्णय भी वही लेगी।
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