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हर वर्ग के मतदाता को विकल्प के रूप में दिख रही है कांग्रेस

बांगरमऊ। विधानसभा उपचुनावों के लिए अब प्रत्याशियों को लेकर स्थिति लगभग स्पष्ट हो चुकी है। बांगरमऊ सीट के लिए भी सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। दिलस्चस्प पहलू जो देखने मे नजर आ रहा है, उसके मुताबिक कांग्रेस की उम्मीदवार आरती बाजपेई को छोड़कर हर उम्मीदवार के नाम से कोई न कोई विवाद जुड़ता नजर आ रहा है। कांग्रेस के सामने सत्तारूढ़ बीजेपी सहित सपा-बसपा ने पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों पर अपना दांव लगाया है।

सपा ने सुरेश पाल के आपराधिक पृष्ठभूमि को दरकिनार करते हुए अपना प्रत्याशी बनाया है। इस मामले समाजवादी पार्टी ने अपने पारंपरिक अल्पसंख्यक वोटबैंक को नजरअंदाज करते हुए पिछड़ा वोटबैंक पर फोकस किया है। इसका खासा असर इलाके में देखने को मिल रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय अब कांग्रेस को एक मजबूत विकल्प के रूप में देख रहा है।

वहीं भाजपा ने काफी विचार-मंथन के बाद बांगरमऊ उपचुनाव के लिए पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत कटियार को उम्मीदवार घोषित किया है। प्रत्याशी घोषित होते ही पार्टी के एक धड़े में असंतोष फैल गया। एक सोशल मीडिया अकाउंट पर पार्टी के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने लिखा कि गलत ही सही पर पार्टी का निर्णय है, ऊपर से थोपा गया है, खैर भगवान इज्जत रखें, यही प्रार्थना कर सकता हूं। आगे लिखा कि मेरी भी सलाह की कोई कीमत नहीं रही पार्टी में। इससे साफ है कि खुद भाजपा के लोगों में उम्मीदवार के नाम पर असन्तोष है, ऐसे में वे मतदाताओं के बीच के बीच भी उहापोह वाली स्थिति बन चुकी है।

बसपा ने बांगरमऊ विधानसभा उपचुनाव के लिए महेश पाल को उम्मीदवार घोषित किया है। बांगरमऊ विधानसभा सीट पर ओबीसी यानी अन्य पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद मुस्लिम बिरादरी का नंबर आता है। ब्राह्मण वोटर्स चौथे नंबर पर हैं। ऐसे में तीन पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के वोट बंटने और अल्पसंख्यक मतदाताओं का कांग्रेस को एक मजबूत विकल्प में देखने के चलते, कांग्रेस प्रत्याशी आरती बाजपेई को सीधा फायदा मिलता नजर आ रहा है।

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