लखनऊ। आज खुन खुन जी गर्ल्स पीजी काॅलेज में हिन्दी विभाग द्वारा “साहित्यामृत : प्रेमचंद की कथा यात्रा जयंती की पूर्व संध्या पर पुण्य स्मरण” विषय पर आनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
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जिसमें मुख्यवक्ता राजकीय महाविद्यालय कामां राजस्थान के सहायक आचार्य डाॅ सांवर सिंह यादव ने कहा कि प्रेमचंद की कथा साहित्य भारतीय समाज के लिए चिकित्सक का काम करती है, अकेलापन अवसाद समाप्त करने का काम करती है, तो वही पर वीएन कॉलेज सहरसा बिहार की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शालिनी द्विवेदी ने उनकी कहानी ईदगाह में चित्रित “बालस्वभाव” का वर्णन किया कि कैसे प्रेमचंद्र ने बालसुलभ के अत्यंत ही जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाले पात्र की चर्चा की, तो उसी कड़ी में मनोज श्रीवास्तव ने भी प्रेमचंद के जन्म स्थान और उनके आदर्शवाद से यथार्थवाद तक की यात्रा का वर्णन किया।
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इसी क्रम इन्टर काॅलेज गोरखपुर के प्रवक्ता डाॅ दिलीप ने उनकी कहानी मंत्र व कफन में पूॅजीवाद, सामंत, गरीबी व अमीरी का यथार्थ चित्रण बताया। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने भी पंच परमेश्वर के माध्यम से न्यायिक वैचारिकी पर अपनी बात रखी। महाविद्यालय की डॉ शालिनी शुक्ला ने भी प्रेमचंद की रचना में स्त्री विमर्श की तरफ ध्यान आकर्षित किया। इस कार्यक्रम का संचालन डाॅ प्रियंका ने किया। उक्त संगोष्ठी काॅलेज की प्रचार्या डाॅ अंशु केडिया के निर्देशन एवं अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ अंशु केडिया ने प्रेमचंद के जनवादी और मानवतावादी लेखन की आज के भूमंडलीकरण और पूंजीवादी युग मे और भी प्रासंगिकता बढ़ गई है इसको रेखांकित किया। अंत मे धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीता यादव द्वारा ज्ञापित किया गया।