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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…सरकारी भाव तो बढ़िया,लेकिन क्रय केंद्रों पर बड़ा खेल!

आज चतुरी चाचा ने चबूतरे पर पहुंचते ही मुझे हाँक लगाई। मैं भी झटपट चबूतरे पर आ गया। चतुरी चाचा बोले-रिपोर्टर, सबको फोन करो। सब आ जाएं। प्रपंच कर लिया जाए। फिर सब घर जाकर अपना कलश स्थापना और पूजा-पाठ करें। मुझे भी आज चन्द्रिका देवी मंदिर जाना है। मैं हमेशा नवरात्र के पहले दिन मातारानी के दर्शन करने जाता हूँ। मैंने सबको फोन किया। कुछ देर में ही ककुवा, बड़के दद्दा, कासिम चचा व मुंशीजी चबूतरे पर आ गए।

चतुरी चाचा बोले-हमारे धान तो सरकारी क्रय केंद्र पर बिक गए। लेकिन, किसानों की भीड़ और क्रय केंद्र के कर्मचारियों की धींगामुश्ती के चलते दो दिन खर्च हुए। पहले दिन शाम हो गई, किंतु मेरे धान तौले ही नहीं गए। मेरे धान दूसरे दिन दोपहर बाद तौले गए। इस बार धान की पैदावार बड़ी अच्छी है। सरकार का समर्थन मूल्य भी ठीक है। खुले बाजार में गल्ला व्यापारी 16-17 सौ रुपए प्रति कुन्तल का ही भाव दे रहे हैं। वहीं, सरकार 1868 रुपए प्रति कुन्तल के भाव से खरीद रही है। इसी वजह से सरकारी क्रय केंद्र पर धान की आमद ज्यादा है।

मुंशीजी ने चतुरी चाचा की बात को आगे बढाते हुए कहा-चाचा, सरकारी भाव तो बढ़िया है, किंतु सरकारी क्रय केंद्रों पर बड़ा खेल होता है। वह कर्मचारी ऊपर की कमाई करने के चक्कर में पड़े रहते हैं। किसानों को जानबूझकर टाला जाता है। कभी बारदाना न होने का बहाना तो कभी काँटा खराब होने का बहाना बनाते हैं। केंद्र प्रभारी बिचवलियों से गुपचुप तरीके से धान खरीद लेते हैं। फर्जी किसानों के कागज लगाए जाते हैं। बिचवलिये किसानों के घर और खेत से सस्ता धान खरीदकर सरकारी क्रय केंद्र पर बेचते हैं। इससे इन मौसमी गल्ला व्यापारियों को मोटी कमाई होती है। इसमें केंद्र प्रभारी को प्रति कुन्तल तय कमीशन दिया जाता है। यह खेल धान ही नहीं, गेंहू की सरकारी खरीद में भी होता है।

बड़के दद्दा ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा-कोरोना महामारी के कारण पिछले 7-8 महीने से स्कूल बन्द चल रहे हैं। बच्चे घरों में कैद हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद पर ग्रहण लगा है। हालांकि, बच्चे पढ़ाई के नाम पर ऑन लाइन क्लास जरूर कर रहे हैं। ऐसे में यूपी सरकार ने आगामी 19 अक्टूबर से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के बच्चों का स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बहुत सही है। बस, स्कूलों में मॉस्क और दैहिक दूरी का कड़ाई से पालन हो। उधर, महाराष्ट्र सरकार ने शराब की मॉडल शॉप, पब व बार खोल दिए हैं, किंतु मंदिरों को नवरात्र में भी नहीं खोला है। इसको लेकर वहां घमासान हो रहा है। क्योंकि, पूरे देश में मन्दिर बहुत पहले खुल गए थे।

इसी बीच चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी व गिलोय का काढ़ा लेकर आ गई। ककुवा बोले- पोती, बेकारय मेहनत किहौ। हमका अउ कासिम मास्टर कईहाँ छोड़िक सब जने बरते हयँ। बिटिया दुई कुल्हड़ रखि देव बसि। चंदू दो गिलास नींबू पानी व गिलोय काढ़ा रख कर फुर्र हो गई। ककुवा ने ही बतकही को आगे बढ़ाते हुए कहा- ई ससुरे कोरोउनक चलति अबकी दशहरा म्यालव न होई। बक्सीताल क्यार म्याला सन 1972 ते होत आवा हय। इहक़ा मैकूलाल परधान अउ मुजफ्फर डाग्डर लगवाईन रहय। बक्सीताल रामलीला मा मुसलमानन केरी बड़ी भूमिका होत हय। हिंया होय वाली रम्पत हरामी केरी नौटंकी देखाय दुरि-दुरि ते मनई आवत हयँ। मुला ई साल म्यालय न होई।

बड़ी देर से चुप बैठे कासिम चचा बोले-ककुवा, अब नौटंकी देखने को कहां मिलती है? अब तो डीजे और आर्केस्ट्रा का जमाना है। पहले तो हर गांव में नौटंकी होती थी। कोई लड़के के मुंडन में करवाता था। कोई लड़के के तिलकोत्सव में नौटंकी करवाता था। कुछ लोग तो अपने किसी बुजुर्ग के मरने के बाद तेरहवीं में भी नौटंकी करवाते थे। मेलों में तो नौटंकी अनिवार्य रूप से होती ही थी। अब न कोई नौटंकी करवाता है और न ही नौटंकी की पार्टियां बची हैं। नौटंकी में होने वाली जोकरई, पुरुष कलाकारों द्वारा स्त्री की वेशभूषा में नृत्य और ऐतिहासिक किस्से यादों में रह जाएंगे।

अंत में चतुरी चाचा बोले- रिपोर्टर, अब कोरोना अपडेट दे दो। हमने पंचों को बताया कि विश्व में अबतक करीब चार करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 11 लाख से अधिक लोग कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। इसी तरह भारत में अबतक 74 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। वहीं, अपने देश में एक लाख 12 हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। गनीमत यह है कि भारत में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थोड़ा धीमी हो गयी है। साथ ही, कोरोना से ठीक होने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है। फिर भी मॉस्क और दो गज की दूरी बहुत जरूरी है। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली पँचायत लेकर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

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