आज एक बार फिर मैं प्रपंच चबूतरे पर थोड़ा देर से पहुंचा। क्योंकि, सुबह-सुबह मेरे घर पर कुछ लोग आ गए थे। मैं जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा तो चतुरी चाचा कासिम चचा, मुंशीजी, बड़के दद्दा, ककुवा के साथ विराजमान थे। वह लोग धान की कटाई-मड़ाई व आलू की बोवाई पर चर्चा कर रहे थे। हमने सबको विजम दशमी की बधाई देकर अपना आसान ग्रहण कर लिया।
तब चतुरी चाचा बोले-अबकी बसि सूखी बधाई चलि। कोरउना महाब्याधि केरे कारन दशहरा म्याला तौ कहूँ लागि ना। नवरात्र मा मईया केर जागरनौ कहूँ नाय भवा। कोराउना ससुर जिंदगी कय सारा आंनद, उमंग हरे हय। सात महीना ते सबकुछ ऑन-लाइन हय। मुला हम सब केरी जिंदगी बे-लाइन हय।
मुंशीजी बोले-चाचा सही कह रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण हम सबकी जिंदगी पटरी से उतर गई है। जीवन रस हीन हो गया है। इस समय तो दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ कोरोना का आतंक है। दूसरी तरफ डेंगू व टाइफाइड बुखार का बोलबाला है। कोरोना के साथ-साथ बुखार से भी लोगों की मौतें हो रही हैं। इधर, लॉकडाउन खुल जाने से एक बार फिर प्रदूषण की समस्या खड़ी हो गई है। सड़कों पर भारी मात्रा में वाहन और तमाम उद्योग, कारखाना, फैक्ट्री धुआं उगल रहे हैं। किसान भी अपने खेतों में धान का पुवाल (पराली) जला रहे हैं। नतीजतन, दिल्ली सहित कई राज्यों की हवा दमघोंटू होने लगी है। आसमान में फिर धुंध छाने लगी है।
इसी बीच चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी व तुलसी-अदरक वाली कड़क चाय लेकर आ गयी।वह चाय की ट्रे रख कर घर जाने लगी। तभी ककुवा बोले-अरे! पोती तुम तौ बड़ी जल्दी मा रहती हौ। ई लेव 50 की नोट जलेबी खाय लिहौ। आजु अपने घरमा सब लरिका-बिटियन का 50-50 रूपया दीन हय। सब लरिका-बिटिया भोरहे पिंडे परिगे। कहय लाग दशहरा म्याला लगाय चहय न लागय। बाबा हर साल म्याला द्यखयक रुपया देत हौ। यहू साल रुपया देव। तब पनसवा तुरायक सबका रुपया बाँटा। चंदू रुपए लेकर फुर्र हो गई।
बड़के दद्दा ने बतकही आगे बढ़ाई। वह बोले-कोरोना को लेकर अजीब स्थिति है। देवी जागरण, पूजा पंडाल पर रोक लगी रही। रामलीला और दशहरा मेला पर भी रोक है। छोटे-मोटे सामाजिक कार्यों के लिए मॉस्क और दैहिक दूरी के साथ छूट दी गयी है। महाराष्ट्र में तो आज भी मन्दिरों में ताला लगा है। वहीं, शराब की दुकानें, मॉडल शॉप, बार सब धड़ल्ले से चल रहे हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव की रैलियों में लोगों का रेला है। बाजारों में भी भारी भीड़ और धक्कामुक्की होती है। कहीं भी, कोई न मॉस्क लगा रहा है और न दो गज की दूरी का ख्याल है। यह सब देखकर लगता है कि सरकारें दोहरा रवैया अपना रही हैं। बहरहाल, हम सबको कोरोना से सतर्क ही रहना होगा।
चतुरी चाचा ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा-आजकल अपराध बहुत बढ़ गया है। चोरी, लूट, डकैती, हत्या व बलात्कार जैसी घटनाएं बेखौफ हो रही हैं। खैर, यह घटनाएं पहले भी होती थीं। लेकिन, इस दरम्यान बलात्कार की घटनाओं की बाढ़ सी आयी है। हैवान न छह साल की बच्ची छोड़ रहे हैं और न ही 60 साल की बुजुर्ग महिला को। आजकल बेटी/बहनों से छेड़छाड़ तो आम बात है। पहले घर की चौखट पार करते ही हमारी बेटी/बहन असुरक्षित हो जाती थीं। परन्तु, अब तो घर में बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं। शहर से गांव तक राक्षस गली-गली घूम रहे हैं। रेप की घटनाएं कम करने पर विचार करने के बजाय हमारे नेतागण उस पर अपनी राजनीति चमकाने में जुटे हैं।
बड़ी देर से सबकी बातें सुन रहे कासिम चचा बोले- चाचा, आप सही कह रहे हो। रेप की घटनाओं में नेतागण जाति/धर्म का एंगिल खोज लेते हैं। नेता लोग रेप को भी छोटा/बड़ा और कम/ज्यादा बताते हैं। जबकि जरूरत इस बात की है कि सभी राजनीतिक और सामाजिक संगठन एकजुट होकर रेप जैसे कलंक को खत्म करने के बारे में सोचें। हम सब भी अपने बेटों को अच्छे संस्कार दें। समाज में बेटियों को अपेक्षित सुरक्षा और सम्मान मिलना बहुत जरूरी है।
अंत में मैंने सबको कोरोना का अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक कुल 4 करोड़ 25 लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें से 11 लाख 48 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में कुल करीब 80 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। अपने देश में एक लाख 17 हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। लॉकडाउन खुल गया है। ऐसे में कोरोना महामारी से अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। मॉस्क और दो गज की दूरी ही बचाव है। जबतक वैक्सीन नहीं आती है, तबतक साफ-सफाई भी जरूरी है।
इसी के साथ आज की बतकही सम्पन्न हो गई। अगले रविवार को मैं एक बार चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली पँचायत लेकर हाजिर रहूँगा। आप सभी को विजय दशमी, शरद/कार्तिक पूर्णिमा, बारावफात व वाल्मिकी जयंती की शुभकामनाएं! तबतक के लिए पँचव राम-राम!
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान