आज एक बार फिर मैं प्रपंच चबूतरे पर थोड़ा देर से पहुंचा। क्योंकि, सुबह-सुबह मेरे घर पर कुछ लोग आ गए थे। मैं जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा तो चतुरी चाचा कासिम चचा, मुंशीजी, बड़के दद्दा, ककुवा के साथ विराजमान थे। वह लोग धान की कटाई-मड़ाई व आलू की बोवाई ...
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