रायबरेली। आज से यानी 16 दिसंबर से खरमास लग रहा है, जिसके कारण सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। इसी दिन से सूर्य ग्रह धनु राशि में प्रवेश करेगा, जो एक माह तक इसी राशि में स्थित रहेगा। यह खरमास 14 जनवरी 2021 को समाप्त होगा। खरमास का महत्व पौराणिक शास्त्रों में बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव एक राशि में एक माह तक रहते हैं। इसके बाद ये राशि परिवर्तन करते हैं जिसे संक्रांति कहते हैं, जिस भी राशि में सूर्य जाते हैं उसी राशि के नाम से संक्रांति जानी जाती है। ऐसे ही जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है। खरमास में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि वर्जित माने जाते हैं।
इस महीने सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि खरमास में दान पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस महीने गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाना चाहिए। संभव हो तो उन्हें कंबल बांटें। खरमास में गौ पूजन और गौ संवर्धन करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। कहते हैं एक बार उनके घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक गए थे। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें यह आभास हुआ कि अगर रथ रूका तो यह सृष्टि भी रुक जाएगी।
वहीं तालाब के किनारे दो गधे भी मौजूद थे। ऐसे में सूर्य देव को एक उपाय सूझा। उन्होंने घोड़ों को आराम देने के लिए रथ में गधों को जोत लिया। इस स्थिति में सूर्य देव के रथ की गति धीमी हो गई, लेकिन रथ रुका नहीं। इसलिए इस समय सूर्य का तेज कम हो जाता है। इस समय ठंड भी अपने चर्म पर होती है।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा