Breaking News

लोकदल: किसान आंदोलन के समर्थन में उपवास रखकर मनाई पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की 118वीं जयंती

लखनऊ। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह के निर्देश पर देश भर में चल रहे किसान आन्दोलन के समर्थन में लोक दल के संस्थापक एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह के जन्म दिवस पर लोकदल ने उपवास रखकर किसान आन्दोलन को समर्थन दिया। जिसमें सभी जिलों से राष्ट्रीय, प्रांतीय, मंडलीय एवं जनपदीय स्तरीय पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल हुए।

इस मौके पर बोलते हुए सुनील सिंह ने कहा है देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है। चौधरी चरण सिंह ऐसा कहते थे। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। चाहे कोई भी लीडर आ जाए, चाहे कितना ही अच्छा कार्यक्रम चलाओ, जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता। गांव की एक ढाणी में जन्मे चौधरी चरण सिंह गांव, गरीब व किसानों के तारणहार बने।

उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गांव के गरीबों के लिए समर्पित कर दिया। इसीलिए देश के लोग मानते रहे हैं कि चौधरी चरण सिंह एक व्यक्ति नहीं, विचारधारा का नाम है।स्वतंत्रता सेनानी से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बने। चौधरी जी ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद की और आह्वान किया कि भ्रष्टाचार का अंत करके ही देश को आगे ले जाया जा सकता है। वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी और प्रगतिशील विचारधारा वाले व्यक्ति थे।

केन्द्र सरकार के वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा गांव-खेती पर खर्च करने के लिए रखा था। प्रदेश में उन्होंने जमींदारी उन्मूलन विधेयक लाकर किसानों को भूमिधर बनाया था। आज देश का किसान आंदोलित है। भाजपा सरकार की नीतियां गांव, खेती की उपेक्षा कर कार्पोरेट की समर्थक हैं। किसान को अपनी खेती से मालिकाना हक छिन जाने का डर है। अब तक उसे झूठे वादों से भ्रमित किया जाता रहा है। फसल के लागत मूल्य का डेढ़ गुना देने,2022 तक आय दुगनी करने का वादा करके उसे भुला देना भाजपा का दुहरा चरित्र है। चौधरी साहब किसानों के साथ धोखाधड़ी को अक्षम्य अपराध मानते थे।

श्री सिंह ने 3 काले कृषि कानून को लेकर कहा कि अम्बानी-अडानी राष्ट्र नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र इस देश के किसान-मजदूर का है, इस देश की जनता का है। लोकतंत्र का लोक तो पहले ही खत्म हो गया था, क्या उसका जो तंत्र बच रहा था? उसके भी खात्मे की तैयारी केंद्र सरकार कर रही है? अध्यादेश को चोर दरवाजे से लाकर बाद में राज्यसभा में लोकतांत्रिक मर्यादा की धज्जियां उड़ाते हुए पारित/घोषित करवा दिया गया। पिछले साढ़े 6 वर्षों से मोदी-शाह जोड़ी जिस तरह से देश में लोकतंत्र को रौंद रही है, सिर झुका कर हाथ जोड़कर झूठ बोलने वाली सरकार है।

केन्द्र की सरकार वैश्विक महामारी कोविड-19 के खौफ के साये में रह रहे भारत के किसानों व मजदूरों पर कहर बनकर टूटी है। केंद्र सरकार ने 5 विधेयकों के माध्यम से न सिर्फ ग़रीबों व मजदूरों के हक छीने हैं, बल्कि देश व दुनिया की कंपनियों को अद्वितीय तोहफे भी दिए हैं। सरकार ने तीन दशकों से वैश्विक उद्योगपतियों की ओर से चल रही मांग को कोरोना की आड़ में एक झटके में पूरा कर दिया है।

मोदी सरकार ने अल्पकालीन मॉनसून सत्र के दौरान 5 अहम विधेयक पारित कराए हैं। इसमें 3 किसानों, 1 मजदूरों व 1 कंपनियों से सीधे तौर पर जुड़े हैं। इन पांचों विधेयकों में एक साझा बात यह है कि ये उद्योग जगत को लाभ पहुंचाने वाले हैं। श्री सिंह ने आगे कहा कि केंद्र सरकार 10 दिसम्बर को नए संसद-परिसर के भूमिपूजन का कर्मकांड आडम्बरपूर्वक किया, जिसे मीडिया ने मेगा इवेंट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर हमारे लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार संसद का शीत-सत्र, जो आमतौर पर नवम्बर के तीसरे सप्ताह में होता है, वह इस बार स्थगित कर दिया गया।

हद तो तब हो गयी, जब इन कानूनों के विरोध के लिए, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि यह किसानों का संवैधानिक अधिकार है। पंजाब से दिल्ली आ रहे किसानों के साथ दुश्मन सेना जैसा बर्ताव किया गया। उन्हें रोकने के लिए सड़कें खोदकर खाई बना दी गयी। कँटीले तारों की बाड़ लगा दी गयी। लाठीचार्ज, आंसूगैस और वाटर कैनन से हमला किया गया। सरकारी क्रूरता और संवेदनहीनता का आलम यह है कि दिल्ली बॉर्डर पर 21 दिन में 33 किसानों की मौत हो चुकी है। श्री सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के दुख दर्द को समझे और उसका निराकरण करें।

About Samar Saleel

Check Also

इकाना स्टेडियम प्रशासन ने दिखाई घोर लापरवाही, लगा पांच लाख का जुर्माना

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मशहूर गायक व अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने भले ही लखनऊवालों का ...