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आखिर फांसी से पहले जल्लाद अपराधी के कान में क्या बोलता है? सुनकर रह जाएंगे दंग

भारतीय संविधान में कई जघन्य अपराधों पर फांसी की सजा देने का प्रावधान है. हालांकि फांसी की सजा मिलने पर दोषी को राष्ट्रपति के पास अर्जी लगाने का अधिकार होता है. यदि राष्ट्रपति चाहें तो उसकी सजा को उम्रकैद में बदल सकते हैं. देश में जब भी किसी को फांसी की सजा होती है तो वह पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाती है. इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर फांसी देते समय कौन कौन वहां उपस्थित रहता है और आखिर फांसी देने वाला जल्लाद दोषी के कान में क्या कहता है?

पहले से सब होता है तय

बता दें कि भारत में फांसी देते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना आवश्यक होता है. फांसी की तैयारी पहले से ही कर ली जाती है. तय दिन और तय समय पर ही अपराधी को फांसी लगाई जाती है, लेकिन फांसी लगाने के लिए भी कुछ नियम होते हैं. फांसी देने में सबसे अहम भूमिका जल्लाद की होती है. क्योंकि जल्लाद ही अपराधी को फांसी पर लटकाता है.

ये लोग होते हैं उपस्थित

फांसी के वक्त जेल अधीक्षक, जल्लाद, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और डॉक्टर मौजूद रहते है. अगर इन चारों में से अगर कोई एक नहीं रहता, तो फांसी की सजा रोक दी जाती है.  फांसी की रस्सी के साथ फांसी का समय, इसे देने की प्रक्रिया आदि पहले से ही तय होते है. इन नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक होता है. फांसी पर लटकाने से पहले जल्लाद अपराधी के कान में कुछ कहता है.

करेंगे आश्चर्य

हमारे देश में किसी दोषी को फांसी दी जाती है, तो जल्लाद उसके कानों में कुछ बोलता है. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिरी जल्लाद अपराधी के कान में क्या कहता होगा. तो बता दें फांसी पर लटकाने से पहले फांसी देने वाला जल्लाद अपराधी के कान में कुछ ऐसा कहता है कि आप भी आश्चर्य करेंगे. फांसी के दौरान जल्लाद चबूतरे से जुड़ा लीवर खींचता है.

यह भी बोलता है

इस लीवर को खींचने से पहले वह अपराधी के कान में बोलता है ‘मुझे माफ कर दो’, इसके अलावा अगर अगर अपराधी हिन्दू होता है तो जल्लाद उसे ‘राम-राम’ यदि अपराधी मुस्लिम है तो ‘सलाम’ बोलता है. बताते चलें कि फांसी से पहले जल्लाद अपराधी के कान में और भी कुछ कहता है. जल्लाद, अपराधी से आगे कहता है कि हम क्या कर सकते हैं, हम हुकुम के गुलाम हैं. इतना कहकर जल्लाद फांसी का फंदा खींच देता है.

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