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चौकाघाट दोहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी विवेक कट्टा को मिली जमानत

वाराणसी। शराब कारोबारी महेश जायसवाल से रंगदारी मांगने के मामले में आरोपित विवेक सिंह कट्टा को जमानत मिल गयी। प्रभारी अपर जिला जज (द्वितीय) जनार्दन प्रसाद यादव की अदालत ने आरोपित विवेक सिंह कट्टा को 50-50 हजार रुपए की दो जमानतें एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। फिलहाल वह चौकाघाट दोहरे हत्याकांड के आरोप में अभी जेल में बंद रहेगें। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फौजदारी अनुज यादव बृजपाल सिंह यादव व बिनित सिंह ने पक्ष रखा।

अभियोजन पक्ष के अनुसार संदहा (कैंट) निवासी शराब कारोबारी महेश जायसवाल ने 18 नवंबर कैंट थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि उसका सोयेपुर में पांच बीघा का प्लाट है, जिसका 7-8 सालों से चंद्रा चौराहा, सारनाथ निवासी अजय गुप्ता व महाबीर गुप्ता से विवाद चल रहा है। इस बीच अजय उसके पार्टनर चरनजीत दत्ता पर दबाव बनाकर उसे जेल में बंद माफिया मुन्ना बजरंगी के पास ले गया। जहां जमीन का समझौता एक करोड़ 40 लाख में भय व दबाव बनाकर करा लिया।

जिसके बाद वादी ने विभिन्न खातों से कुछ पैसा अजय गुप्ता के खाते में ट्रांसफर भी कर दिया, लेकिन मुन्ना बजरंगी के मरने के बाद अजय गुप्ता पुनः मुकदमा शुरू कर दबाव बनाने लगा। साथ ही अजय जमीन पर की गई बाउंड्री को झुन्ना पंडित नामक बदमाश के सहयोग से गिराने लगा था। इस पर जब वादी ने अजय गुप्ता से समझौता करने को कहा तो उसने पीडब्ल्यूडी आफिस वरूणापुल पर स्थित एक दुकान पर पंचायत के लिए बुलाया। जहां पहले से ही दारानगर निवासी तनुज पांडेय, करण्डा गाजीपुर के ब्लाक प्रमुख रिंकू सिंह के साथ ही कई असलहाधारी मौजूद थे।

इस बीच अजय गुप्ता ने रिंकू सिंह व तनुज पांडेय से कहा कि जमीन का मामला सलटा दो। इस पर उनलोगों ने कहा कि एक करोड़ देना पड़ेगा। इस पर वहां मौजूद अभिषेक सिंह हनी व उसके साथियों ने कहा कि तुम दो लाख 50 हजार दे दो तो मैं प्रदीप सिंह से सारा मामला मैनेज करवा दूंगा। इस पर उसने जान के भय से 50 हजार रुपये तत्काल दे दिया तो उन्होंने धमकाते हुए बाकी पैसे की व्यवस्था करने की बात कहकर वहां से चले गए। इस मामले में विवेचना के दौरान आरोपित विवेक सिंह कट्टा का नाम भी प्रकाश में आने पर पुलिस ने उसे भी आरोपित बनाया था।

अदालत में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गयी कि आरोपित ने कभी भी किसी से पैसे की मांग नहीं किया है। सह आरोपितों के बयान के आधार पर उसे आरोपित बना दिया गया है। केस डायरी में ऐसा कोई तथ्य नहीं दर्शाया गया है जिससे यह प्रतीत हो कि आरोपित ने मृत्यु या घोर उपहति का भय दिखाते हुए धन प्राप्त किया गया है।

रिपोर्ट-जमील अख्तर

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