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सनातन धर्म में गोपाष्टमी का महत्व

 दया शंकर चौधरी

ऐसा माना जाता है कि गौ माता सनातन धर्म की मूलाधार हैं। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार “गौ माता” की कृपा के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान सम्भव नहीं है। विक्रम संवत के प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि को गौ माता की तिथि माना जाता है। सनातन धर्म में पावन नवरात्रि चैत्र आश्विन के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी धूमधाम से मनाई जाती है। इन नवरात्रि पर्व में अष्टमी तिथि को महाअष्टमी के रूप में मनाते हुए अधिकांश श्रद्धालु भक्त कन्या पूजन करते हुए अपना व्रत पूर्ण करते है। सनातन धर्म में गौ और कन्या दोनों को एक ही रूप माना जाता है।

इसके अलावा दीपावली के अगले दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से “गौ नवरात्रि” शुरू होती है। इसी गौ नवरात्रि में गोपाष्टमी के पावन दिन गौ माता का पूजन विधि विधान से किया जाता है।

भगवान कृष्ण व सर्वेश्री राधारानी की प्राकट्य तिथि भी अष्टमी ही है। इतिहास इस बात के साक्ष्य हैं कि नन्द बाबा के पास नौ लाख गौ थी। उन्होंने बहुत ही बड़े स्तर पर गौ पालन और गौ सेवा की थी। ऐसा माना जाता है कि नंन्द बाबा ने एक बार गोकुल में लगभग कई कुंतल गौ माता के घी से यज्ञ करवाया था। आशीर्वाद स्वरूप तब गौ माता की कृपा से भगवान स्वयं उनके यहां कृष्ण रूप में प्रकट हुए थे। भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य भी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहणी नक्षत्र में रात्रि के 12 बजे हुआ था। इसी प्रकार वृषभानु जी जिन पर नंदी व गौ माता दोनों की कृपा थी उनके यहां अष्टमी तिथि को राधारानी का जन्म हुआ था।

सनातन धर्म के अनुसार गोपाल अष्टमी, लक्ष्मी अष्टमी भी गौ माता की कृपा से मनाया जाने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि माता सीता का प्राकाम्य धरती के गर्भ से हुआ था। गौ माता को धरती माता के समकक्ष माना जाता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि गौ माता की कृपा से ही माता सीता का भी प्राकाम्य हुआ था।

गोपाष्टमी के पर्व में हम सभी सनातन धर्मी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सभी हर महीने कृष्ण व शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि, जो कि गौ माता की तिथि है, को गौ माता की पूजन व आरती कर उनको भोजन कराएंगे। तभी गौ माता सुखी होगी और उनका संवर्धन होगा और फिर गौ माता की कृपा से भारत वर्ष विश्व गुरु बनेगा।

भारत वर्ष में उ.प्र. सबसे बड़ा राज्य है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन धर्म के अनुरूप युद्ध स्तर पर गौमाता की रक्षा व संबर्द्धन के लिए प्रयासरत् हैं। उनकी कोशिश है कि गौमाता को किसी प्रकार का कोई कष्ट न हो, और गौमाता सुखी रहे। प्रदेश सरकार द्वारा गौ संवर्धन और संरक्षण के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाये गये हैं। उत्तर प्रदेश में गौ सेवा और गौ संरक्षण के लिए कार्यरत “लोक परमार्थ सेवा समिति लखनऊ, माइंड विज़न वेलफेयर एसोशिएन, जलौन उरई सदर के विधायक गौरी शंकर वर्मा, सदर व्यापार मंडल लखनऊ, राम भक्त हनुमान गुणगान समिति लखनऊ, दिल्ली स्थित द्वारका इंस्काॅन संस्था के उपाध्यक्ष अमोघ लीला दास व माधवास फाउण्डेशन वृदांवन के अध्यक्ष माधवास प्रभु आदि ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि गौमाता को “राज्य माता” का दर्जा देकर गौ वंश के संरक्षण ओर संवर्धन की दिशा में प्रभावी कदम उठाया जाना चाहिए।

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