प्रादेशिक फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन लखनऊ राजभवन में किया गया था। लेकिन इसका इसकी प्रेरणा व्यापक रही। क्योंकि इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश ही नही देश के किसानों को भी कृषि आय बढ़ाने का सन्देश गया। इसमें किसानों के साथ अन्य लोगों ने भी दिलचस्पी दिखाई। इनमें शहरों के वह लोग भी शामिल है जो गमलों में बागवानी करते है। प्रदर्शनी का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने किया था। औपचारिक समापन पर आनन्दी बेन ने विजेताओं को पुरष्कृत किया।
चार वर्षों में बदला परिदृश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दो गुनी करने का अभियान शुरू किया था। इसके दृष्टिगत अनेक प्रभावी कदम उठाये जा रहे है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस अभियान को आगे बढ़ा रहे है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के किसानों की आय को दोगुना करने के सपने को पूरा किया जा रहा है। केन्द्र एवं राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी दिया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने बढ़ाने में कृषि की लागत कम करते हुए उत्पादन में बढ़ोत्तरी तथा कृषि विविधीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे किसानों की आय तेजी से बढे़गी। किसान नए प्रयोगों और कृषि विविधीकरण से अपनी आय में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि चार वर्ष पूर्व जब वे अपने कार्यकाल की प्रथम प्रदर्शनी में राज भवन आए थे,तब किसानों,पुष्प उत्पादकों इत्यादि ने उस समय की आवश्यकताओं के अनुसार अच्छा प्रदर्शन किया था। चार वर्ष में परिदृश्य बदलाव भी अपने में बहुत कुछ कह देता है। योगी आदित्यनाथ ने इसका उल्लेख किया। कहा कि चार वर्ष में कृषि संबन्धी प्राथमिकताएं भी बदली हैं। आज की प्रदर्शनी में पारम्परिक फल,सब्जी, पुष्प फसलो के प्रदर्शन के अलावा जैविक फल, सब्जी,पुष्प का भी प्रदर्शन किया गया है। गन्ना किसानों की मेहनत से आज भारत प्रचुर मात्रा में चीनी का निर्यात कर रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का भी बड़ा योगदान है। प्रदेश के किसान बेहद मेहनती हैं। उन्होंने कोरोना काल के दौरान भी मेहनत में कोई कमी नहीं की।
किसानों का रुझान
परम्परागत कृषि उत्पाद के साथ ही विविधीकरण भी आवश्यक है। इससे किसानों की आय भी बढ़ती है,साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी बेहतर होती है। बागवानी के प्रति किसानों को जागरूक बनाने का यही उद्देश्य है। नए कृषि कानूनों में भी यह विचार समाहित है। इसमें किसानों के अधिकार बढ़ाये गए। उनको अधिक आय देने वाली फसलों के लिए प्रेरित भी किया गया है। देश के बहुत से किसान ऐसा कर भी रहे है। उन्होंने कृषि को लाभप्रद बनाने के उदाहरण भी प्रस्तुत किये है। यह कार्य उपलब्ध संसाधनों में ही किया जा सकता है।
फल फूल व औषधीय उत्पाद
आनन्दी बेन पटेल ने भी किसानों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि बागवानी फसलों व्यावसायिक रूप ले रही हैं, इन फसलों के उत्पादन की ओर कृषकों का रूझान बढ़ा है। औषधीय एवं सगंधीय फसलों के उत्पादन कटाई उपरान्त प्रबन्धन, प्रसंस्करण,मूल्य संवर्धन एवं विपणन कार्यों से ग्रामीण अंचल में रोजगार की संभावनाओं में भी वृद्धि हो सकेगी। बदलते परिवेश में इस तरह के प्रयासों की मदद से हमें पर्यावरण संरक्षण करने में भी मदद मिलती है। कोरोना काल में औषधीय एवं सगंध पौधों की ओर जनमानस का ध्यान गया है। इससे बचाव में प्राकृतिक जड़ी बूटियों से बना काढ़ा बहुत कारगर साबित हुआ। इस अवधि में चिकित्सा क्षेत्र के वैज्ञानिकों एवं आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये जाने हेतु औषधीय एवं सगंधीय पौधों के उपयोग पर बल दिया गया। ऐसा नहीं कि यह केवल आपदा के समय ही उपयोगी था। आयुर्वेद को नियमानुसार जीवनशैली में शामिल किया जा रहा है। पूरी दुनिया ने इसके महत्व को स्वीकार किया है। ऐसे में भारत के किसानों के आयुर्वेद संबधी उत्पादों पर ध्यान देना चाहिए।