Breaking News

21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश…!

आज हम सबके प्रगतिशील सोच वाले एक ‘न्यू इंडिया’ में जी रहे हैं। लेकिन महिलाओं की सामाजिक स्थिति, इस नए भारत पर भी सवाल खड़े करती है। मौजूदा समाज में भी महिलाओं की स्थिति में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है। आज भी महिलाओं के अरमान कुचले जाते हैं और उनके हौसलो के पर काट दिए जाते हैं। कहने को तो हमारा समाज बदल गया है।

परंपरा के नाम पर अब भी कई महिला विरोधी रूढ़ियां समाज में हावी है।

‌ऐसे में हम अपने समाज को आदर्श तभी बना सकते हैं, जब महिलाओं को सराहना और सम्मान मिले और वो निर्भीक होकर बाहर निकाल सके।

आज हम 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश का चुके हैं। आजादी के बाद से सभी क्षेत्रों में तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए हम लोगों ने कई ऐतिहासिक कार्य किए हैं और समय के साथ जरुरी बदलाव भी।

हमेशा जोश और जुनून से सराबोर रहने वाली युवा पीढ़ी ही देश का भविष्य है। मगर कुछ नौजवान अपने ही हाथों से अपने जीवन और भविष्य को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। अपने आदर्शों और संस्कारों से वो दूर तो होते ही जा रहे हैं, नशा, वासना, लालच और हिंसा को जायदा महत्व देने लगे हैं। हाल ही में इंजीनियरिंग के कुछ ऐसे छात्रों को अदालत ने सजा सुनाई है, जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त थे।

‌वर्तमान युग में यह प्रश्न प्रबल है कि समाज का प्रतेक युवा क्या अपने दायित्व का पालन कर रहा हे ?

‌समाज में जिस तरह से निराशा और असंतोष का माहौल है, उससे तो यही लगता है कि सामाजिक दायित्व की जमकर अनदेखी की जा रही है। यह डराने वाली सच्चाई है। ऐसे में सभी सजक नागरिकों का यह दायित्व है कि वे भटक रहे इन नौजवानों को नैतिकता का पाठ पढ़ाए, ताकि उन्हें अच्छे संस्कार मिल सके।

शाश्वत तिवारी
शाश्वत तिवारी

About Aditya Jaiswal

Check Also

26 नवम्बर को रवाना होगी श्रीराम बारात, जनकपुर जायेंगे 500 बाराती

अयोध्या। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार श्रीराम बारात में देश भर ...