चीन और नेपाल बॉर्डर को जोडऩे वाला इकलौता हाइवे चुपकोट बैंड के पास भारी लैंडस्लाइड के कारण लगातार दूसरे दिन बंद हो गया है. हाईवे बंद होने से जहां दोनों ओर सैकड़ों वाहन फंसे हैं, वहीं कोरोना के गंभीर मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना भी मुश्किल हो गया है.
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बीते दो दिनों में भारी बारिश हुई थी, जिसके चलते ये अहम हाइवे बीते रोज भी बंद था, शुक्रवार सुबह जैसे तैसे हाइवे खुला तो यात्रियों को राहत मिली, लेकिन शाम होते ही चुपकोट बैंड के पास भारी लैंडस्लाइड के कारण फिर बॉर्डर का हाईवे बंद हो गया. हाईवे बंद होने से पिथौरागढ़ जिले का शेष दुनिया से संपर्क पूरी तरह कट गया है.
इस दौरान सबसे ज्यादा मुश्किल कोरोना के गंभीर संक्रमित मरीजों को उठानी पड़ रही है. इसी हाईवे से कोरोना के गंभीर मरीजों को हल्द्वानी हायर सेंटर रेफर किया जाता है. असल में टनकपुर से पिथौरागढ़ तक के बॉर्डर हाईवे को ऑलवेदर रोड में तब्दील किया गया है. साथ ही ये दावा भी एनएचएआई की तरफ से किया जा रहा था कि मौसम भले ही कैसा भी हो लेकिन हाईवे हर वक्त खुला रहेगा.
यहां मानसून की बरसात से पहले हुई बारिश ने अथॉरिटी के दावों की पोल खोल दी है. बीते एक साल में सामरिक महत्व का ये हाईवे 70 दिन से अधिक बंद हो चुका है. हाइवे में जगत महर के परिजन शाम से फंसे हैं, जंगलों के बीच से गुजरने वाले हाईवे में जगत महर की तरह सैकड़ों लोगों के परिजन फंसे हैं.
जगत महर कहते हैं कि ऑलवेदर रोड बॉर्डर जिले के वरदान होने का दावा किया जा रहा था, लेकिन ये यहां के लोगों के लिए अभिशाप हो गई है. जिला प्रशासन के स्तर पर हाईवे खोलने को गंभीर प्रयास नहीं दिखते हैं. हाईवे के ठेकेदार प्रकाश जोशी कहते हैं कि भारी मात्रा में चुपकोट बैंड में मालवा आया है, जिसे देखकर लगता है कि 24 घंटे से पहले शायद ही ये खुल पाए.