ज्ञात हो की कई Health insurance कम्पनियाँ अनुवांशिकी गड़बड़ी को हेल्थ इंश्योरेंस के सीमा क्षेत्र से बाहर कर देती थी जिसका दुष्परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ता था।
लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत अनुवांशिकी गड़बड़ी को शामिल न करने को अवैध घोषित कर दिया है।
दिल की बीमारियां भी Health insurance के दायरे में
हाई कोर्ट ने इसे संविधान के तहत दिए गए समानता के अधिकार( अनुच्छेद 14) और स्वतंत्रता के अधिकार( अनुच्छेद 21) के खिलाफ माना है। तथ्य ये हैं कि कई तरह के अनुवांशिक डिसऑर्डर के अलावा डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों को बीमा कवर से बाहर करने से मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। ऐसे में बड़ी जनसंख्या Health insurance के असल फायद से महरूम रह जाएगी। जिसका देश की सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
अनुवांशिक बीमारियां हेल्थ इंश्योरेंस से बाहर असंवैधानिक
कोर्ट ने संविधान के दो बातो को ध्यान में रखते हुए कहा की ” “अनुवांशिक बीमारियों को हेल्थ इंश्योरेंस से बाहर करना अवैध और असंवैधानिक है।”
क्यूंकि संविधान किसी भी शख्स के अनुवांशिक संरचना के हिसाब से भेदभाव नहीं करता है।
कोर्ट ने IRDA को दिए निर्देश
आदेश में कोर्ट ने कहा की इंश्योरेंस कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट बनाने की छूट दी है। मगर ये ध्यान रखना होगा कि इसमें अनुवांशिक गड़बड़ियों के आधार पर किसी तरह का भेदभाव न हो।
कोर्ट ने कहा कि इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी( IRDA) को ये ध्यान देना होगा कि इंश्योरेंस कंपनियां जेनेटिक डिसऑर्डर का गलत इस्तेमाल न कर पाएं।