लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में औषधीय खेती को बढ़ावा देने की बड़ी तैयारी की है। सरकार का प्रयास प्रत्येक किसान को अधिक से अधिक लाभ दिलाकर आत्मनिर्भर बनाना है। कम लागत में की जाने वाली औषधीय खेती किसानों को थोड़े समय में अधिक आमदनी प्रदान कर सकती है। इसके लिये बड़ी योजना तैयारी की गई है। बुंदेलखंड में पाइलेट प्रोजेक्ट के बाद अब पूर्वाचल के किसानों को इसका लाभ दिलाने के प्रयास तेज हो गये हैं। मेरठ, मथुरा, फिरोजाबाद समेत अन्य जिलों में भी इसको बढ़ावा देने के प्रयास सरकार की ओर से किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों पूर्वांचल के विकास के लिये कई बड़ी योजनाओं का तोहफा दिया था। इन योजनाओं में किसानों के हित में औषधीय खेती को भी जमीनी स्तर पर शुरु करने को कहा गया था। योजना को आगे बढ़ाने के लिये उद्यान विभाग ने तेजी से काम करते हुए किसानों में औषधीय खेती के प्रति रुझान पैदा करने और उसके फायदों को बताना शुरू कर दिया है। गोरखपुर में किसानों ने बड़ी संख्या में सतावरी की खेती को अपनाया है। किसान अपने खेतों में तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ एवं सर्पगंधा के पौधे लगा रहे हैं और स्वास्थ्य के लिये उपयोगी इन पौधों की नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं।
- बुंदेलखंड में प्राइलेट प्रोजेक्ट के बाद अब पूर्वांचल पर सरकार का विशेष जोर
- कम लागत की खेती से किसानों की आमदनी बढाने का बड़ा प्रयास कर रही सरकार
- प्रदेश में 9705 हैक्टेयर हुई औषधीय खेती, 15000 से अधिक किसानों को मिला लाभ
औषधीय खेती को आगे बढ़ाने में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्कारण विभाग की राष्ट्रीय औषधीय पौध मिशन योजना बड़ी कारगर सिद्ध हुई है। राज्य आयुष मिशन के नोडल अधिकारी और उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्कारण विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीबी द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश में औषधीय खेती को 9705 हैक्टेयर तक बढ़ाया गया है। इससे 15000 से अधिक किसानों को अभी तक लाभ मिल चुका है। सरकार लगातार इसको प्रदेश के अन्य जिलों में भी बढ़ावा देने में जुटी है।