कुशीनगर (मुन्ना राय)। बनारस की गलियों में (Streets of Banaras) ठेले पर गोलगप्पा बेचने (Sell Golgappas) वाला सीधे साधे साहब लालधारी (Saheb Laldhari) ने भोजपुरी सिनेमा जगत में (Bhojpuri Cinema World) एक सफल मुकाम ही नहीं बनाया है बल्कि दर्शकों के चहेता के रूप में एक कामयाब अदाकार बन कर भोजपुरी सीने जगत में स्थापित हो चुके (Established) हैं। साहब लाल में कला की बारीकियांकूट कूट कर भरी हुई है।
वर्ष दो हजार नौ से गोलगप्पा का ठेला छोड़ कला क्षेत्र में कदम रखने वाले लालधारी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद एक सफल फिल्म दिया। अब तक एक सौ से अधिक फिल्मों में अपने कला का जलवा बिखरने वाले साहब लालधारी का जन्मभूमि गाजीपुर है। लेकिन ये बनारस में पले बढ़े और अपनी जीविका चलाने के ठेले पर गोलगप्पा बेचने लगे।
इसी बीच महुआ चैनल पर एक खास कार्यक्रम के लिए ऑडिशन चल रहा था जिसमें लालधारी ने भाग लिया और इन्हें चयनित कर लिया गया। महुआ चैनल के कार्यक्रम में विनर घोषित होने के बाद फिल्मों के तरफ कदम बढ़ा दिए। फिर लगातार फिल्मों में अवसर मिलता गया। आज स्थिति यह है कि इन्हें शूटिंग की इतनी अधिक व्यस्तता है कि लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर, कुशीनगर आदि शहरों में ही जमे हुए है।
हास्य अभिनेता साहब लालधारी अपने माता पिता को ही अपना आदर्श मानते हैं और कहते हैं कि आज जो कुछ हूं माता पिता के आशीर्वाद के बदौलत ही हूं। कुशीनगर में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान साहब लालधारी से मुलाकात हुई।
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साहब लालधारी ने अपने जीवन की रूप रेखा पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि आज उत्तर प्रदेश की धरती भोजपुरी सिनेमा के लिए एक उपजाऊ धरती मानी जा रही है। यहां की योगी सरकार ने भोजपुरी सिनेमा के बढ़ावा के लिए दिल खोल कर सहयोग दिया है। प्रदेश में फिल्म सिटी के निर्माण से क्षेत्रीय कलाकारों को एक सुनहरा अवसर प्राप्त हो रहा है।