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कोरोना महामारी के कारण निराश्रित हुए बच्चों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अभिनव पहल

लखनऊ। माता-पिता के साये से वंचित बच्चों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा संबल दिया है। सीएम ने कहा है कि जब तक प्रदेश में सरकार है तो कोई भी बच्चा अनाथ नहीं हो सकता है। माता-पिता के प्रेम से वंचित हर एक बच्चे के समुचित लालन-पालन, भरण-पोषण, शिक्षा और सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की है और यह काम पूरी जिम्मेदारी से किया जाएगा। यही नहीं, कोरोना के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का निधन हो गया है, उनके लिए “मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना” शुरू की गई है तो अब नॉन कोविड कारणों से निराश्रित हुए बच्चों के लिए भी नई योजना तैयार की जा रही है। सीएम योगी ने बच्चों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि इनके सपनों को पूरा करने के लिए सरकार हर जरूरी संसाधन मुहैया कराएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गुरुवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति में, कोरोना की विभीषिका में अनाथ हुए बच्चों के लालन-पालन और शिक्षा-दीक्षा के प्रबंधन के घोषित “उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना” का औपचारिक शुभारंभ कर रहे थे। इस मौके पर राज्यपाल के हाथों 4,050 निराश्रित बच्चों के भरण-पोषण के लिए पहली तिमाही के ₹12,000 उनके बैंक खातों में डिजिटली अंतरित किए गए। तो योजनांतर्गत पात्र बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप प्रदान किया।

  • सरकार है साथ, एक भी बच्चा नहीं अनाथ: सीएम योगी
  • उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का औपचारिक शुभारंभ
  • 4050 निराश्रित बच्चों को मिला ₹12-12 हजार का तिमाही भत्ता
  • माता-पिता को खोने वाले बच्चों की मदद को राज्यपाल ने किया जनसहभागिता का आह्वान
  • अनाथ बालिकाओं की शादी के लिए मिलेगी ₹1,01,000 की राशि
  • विश्वविद्यालयों में होगी निःशुल्क पढ़ाई, परिवार के सदस्य की तरह रखेंगे ख्याल
  • नॉन कोविड कारणों से निराश्रित हुए बच्चों के लिए लाएंगे नई योजना: मुख्यमंत्री
  • निराश्रित बच्चों के भरण-पोषण को सरकार ने दी ₹4,86,000,00 की सहायता राशि

लोकभवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि विगत 16-17 माह में न केवल प्रदेश बल्कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है। यह हमारा सौभाग्य है कि सदी की इस सबसे बड़ी महामारी के दौरान हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मार्गदर्शन मिला और भारत इस विभीषिका का सफलतापूर्वक सामना कर पा रहा है, बावजूद इसके बहुत से लोगों को अपने प्रियजनों को खोना पड़ा है। कोविड से हुए हर एक मृत्यु के प्रति शोक संवेदना जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महामारी में बड़ी से बड़ी ताकतों की स्थिति भी खराब रही। अमेरिका जैसी ताकत का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी किसी काम का न रहा। लेकिन प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हर वर्ग ने एकजुट होकर कोशिश की, जिससे भारत की स्थिति अन्य देशों के सापेक्ष बेहतर है।

240 बच्चों ने खोए माता-पिता, 3,810 के सिर से एक का साया उठा: कोविड की पहली और दूसरी लहर के बीच केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किए गए राहत सम्बन्धी प्रयासों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कोविड के कारण निराश्रित हुए बच्चों की पीड़ा को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राज्यों से इन बच्चों के भविष्य के लिए नीतिगत प्रयास की जरूरत बताई थी, जिसके बाद “उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना” अस्तित्व में आई। सीएम ने बताया कि प्रदेशव्यापी सर्वेक्षण में मार्च 2020 से अब तक 240 ऐसे बच्चे चिन्हित हुए हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता (दोनों) अथवा विधिक अभिभावक को खो दिया है, जबकि 3,810 ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता, पिता अथवा विधिक अभिभावक का कोविड के कारण निधन हो गया। इन बच्चों की जिम्मेदारी सरकार ने ली है। अभी इन 4,050 बच्चों को ₹4000 मासिक भरण-पोषण के रूप में तीन माह की राशि एकमुश्त दी जा रही है। यही नहीं, 18 वर्ष की आयु से कम के ऐसे बच्चे जिनका कोई अभिभावक अथवा परिवार नहीं है, उनके लिए भी प्रबंध किए गए हैं। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को टैबलेट अथवा लैपटॉप दिया जाएगा तो बालिकाओं की शादी के लिए राज्य सरकार द्वारा 1,01,000 की राशि दी जाएगी।

बैग, स्टेशनरी, टैबलेट देकर सीएम ने दुलारा: कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी ने अलग-अलग जिलों से आए युवराज गुप्ता, अनुष्का अवस्थी, मो.अतीक, उन्नति, देविना साहू, यशिका, जसकीरत सिंह सहित 10 बच्चों को बैग, स्टेशनरी, चॉकलेट बॉक्स और पात्र बच्चों को टैबलेट प्रदान किया। उन्होंने सभी बच्चों से उनका हाल-चाल पूछा तो सिर पर हाथ फेर कर दुलार भी दिया।

राज्यपाल ने सुनाई अपनी कहानी, कहा, अनाथ बच्चों के लिए आगे आए जनता

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अनाथ बच्चों के लिए देश में सबसे पहले योजना लागू करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। साथ ही कहा, कि सरकार का यह प्रयास बच्चों की उंगली पकड़ने जैसा है। केंद्र सरकार ने इसे अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय कहा है।

राज्यपाल ने अनाथ बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए व्यापक जनसहभागिता का भी आह्वान किया। अपने प्रयासों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार वह अपनी बेटी और दामाद के साथ वह द्वारिकाधीश मंदिर दर्शन करने गईं तो रास्ते में एक जलपान गृह पर एक पांच साल का बच्चा काम करता हुआ दिखा। लोगों से पूछा तो पता चला कि चंद रोज पहले कोई छोड़ गया। राज्यपाल और उनकी बेटी ने उस बच्चे को गोद लिया, परिवार के सदस्य के रूप में पाला और आज वह बच्चा गुजरात राज्य के शीर्ष 10 फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक है। उन्होंने हर काम के लिए सरकार को जिम्मेदारी देने की प्रवृत्ति से अलग सामाजिक कार्यों में जनसहभागिता की जरूरत बताई। आनंदीबेन ने समर्थ लोगों से बच्चों को गोद लेने, परिवार की तरह स्नेह देने और उनके शिक्षा-दीक्षा के प्रबंध करने की जरूरत बताई। उन्होंने गुजरात में पटेल समाज में व्याप्त दहेज कुप्रथा के बारे में बताते हुए जनसहभागिता से आयोजित सामूहिक विवाह के प्रयासों से बदली तस्वीर की कहानी भी सुनाई। राज्यपाल ने सीएम योगी द्वारा संचालित सामूहिक विवाह योजना की प्रशंसा करते हुए इन कार्यक्रमों में समाज के अलग-अलग वर्गों को सहयोग देने की भी अपील की।

निराश्रित बच्चों को विश्वविद्यालयों में मिलेगी निःशुल्क शिक्षा: राज्यपाल आनंदीबेन ने कहा कि कोविड विभीषिका के बीच निराश्रित हुए बच्चों को बेहतर शिक्षा-दीक्षा के लिए विश्वविद्यालयों में व्यवस्था की जा रही है। यहां न केवल इनकी निःशुल्क शिक्षा-दीक्षा होगी, बल्कि परिवार के सदस्य के रूप में स्नेह और कॅरियर मार्गदर्शन भी मिलेगा।

कोई अनाथ नहीं, हर बच्चे के संरक्षक हैं सीएम योगी: स्वाति सिंह

महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह ने कोविड के कारण दिवंगत हुए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की। साथ ही, अनाथ बच्चों के भरण-पोषण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। विभागीय मंत्री स्वाति सिंह ने कहा कि प्रदेश का एक भी बच्चा अनाथ नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसके संरक्षक हैं।सरकार सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए हर जरूरी इंतज़ाम करेगी। उन्होंने कहा कि सीएम योगी के मार्गदर्शन में तैयार यह योजना सभी अनाथ बच्चों के भरण-पोषण और शिक्षा-दीक्षा के लिये सुव्यवस्थित प्रबंध करने वाली है।

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना: एक नजर में

01- बच्चे के वयस्क होने तक उनके अभिभावक अथवा देखभाल करने वाले को ₹4,000 प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

02- अठारह वर्ष की आयु से कम के ऐसे बच्चे जिनका कोई अभिभावक अथवा परिवार नहीं है, ऐसे सभी बच्चों को प्रदेश सरकार द्वारा भारत सरकार की सहायता से अथवा अपने संसाधनों से संचालित राजकीय बाल गृह (शिशु) में देखभाल की जाएगी। मथुरा, लखनऊ प्रयागराज, आगरा एवं रामपुर में राजकीय बाल गृह (शिशु) संचालित हैं।

03- अवयस्क बालिकाओं की देखभाल सुनिश्चित की जाएगी। इन्हें भारत सरकार द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (आवासीय) में अथवा प्रदेश सरकार द्वारा संचालित राजकीय बाल गृह (बालिका) में रखा जाएगा। जहां इनकी देखभाल और शिक्षा-दीक्षा के प्रबंध होंगे। वर्तमान में प्रदेश में 13 ऐसे बाल गृह संचालित हैं। इसके अलावा, सुविधानुसार इन्हें प्रदेश में स्थापित किए जा रहे 18 अटल आवासीय विद्यालयों में रखकर उनकी देखभाल की जाएगी।

04- बालिकाओं के विवाह की समुचित व्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार बालिकाओं की शादी हेतु रुपये 1,01,000 की राशि उपलब्ध कराएगी।

05- स्कूल अथवा कॉलेज में पढ़ रहे अथवा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर रहे ऐसे सभी बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा उपलब्ध कराएगी।

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