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अनाथ बच्चों के साथ सरकार

कोरोना आपदा के दौरान अनेक परिवारों को बड़ी त्रासदी का सामना करना पड़ा। इनके यहां बच्चों के सिर से माता पिता संरक्षण समाप्त हो गया। सामाजिक सुरक्षा की भावना के अनुरूप इनका पालन पोषण करना सरकार का दायित्व होता है।जरूरतमन्दों को राहत के प्रयास अपरिहार्य हो जाते है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना आपदा प्रबंधन प्रयासों के बीच ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय भी ले रहे है। यह तय किया गया कि कोरोना में जिन बच्चों के माता पिता नहीं रहे,उनका पालन पोषण सरकार के द्वारा किया जाएगा।

पन्द्रह करोड़ गरीब परिवारों को निःशुल्क राशन वितरण की योजना भी संचालित की गई। सरकार ने आगे बढ़ कर यह जिम्मेदारी स्वीकार की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया था कि कोविड के कारण जिन बच्चों के माता पिता का देहान्त हो गया,ऐसे अनाथ एवं निराश्रित बच्चों के भरण पोषण और समुचित देखभाल के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाए। किसी भी शिक्षण संस्थान द्वारा यदि विद्यार्थियों से शुल्क लिया गया है तो शिक्षकों के वेतन से कटौती ना की जाए। आपदा के समय में किसी के वेतन से कटौती उचित नहीं है। वेतन का भुगतान समय पर किया जाए। शिक्षा से सम्बन्धित सभी विभागों द्वारा अपने अन्तर्गत संचालित शिक्षण संस्थानों में इस व्यवस्था का अनुपालन कराया जाए। कुछ समय पहले योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षनाथ मंदिर में कोरोना महामारी के चलते अपने माता पिता खो चुके बच्चों से मुलाकात की थी।

इसके अलावा वह बाल आश्रय गृह भी पहुंचे। उन्होंने बेसहारा बच्चों को प्यार दुलार दिया। कहा कि माता पिता का न रहना बेहद दुखदायी है,लेकिन चिंता मत करो,मैं हूं। ऐसे सभी बच्चों का पर्याप्त सुविधाओं के साथ पालन पोषण होगा। बच्चों से मिलते समय योगी आदित्यनाथ स्वयं भी भावुक थे। उन्होंने बच्चों उपहार दिए। नन्हें बच्चों ने तो समझा होगा कि यह उनके मम्मी पापा ने भिजवाए है। उन्हें क्या पता कि ऐसा अब कभी नहीं होगा। योगी ने इन बच्चों के सिर पर हाँथ रखा। कहा कि सरकार हर पल उनके साथ खड़ी है। यहां योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं बल्कि अभिभावक की तरह दिखाई दे रहे थे। जिनमें करुणा व वात्सल्य का भाव होता है।

इसी भूमिका में बच्चों को सबको समझाने का प्रयास किया। पढ़ लिखकर जीवन में कुछ अच्छा और बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। कहा कि तनिक भी घबराने की जरूरत नहीं है,उनके साथ सरकार खड़ी है। इस क्रम में बाल सेवा योजना की औपचारिक शुरुआत हो गई है। कोरोनावायरस संक्रमण में अनाथ हुए चार हजार पचास बच्चों को इस योजना का लाभ मिला है। बताया गया कि दो सौ चालीस बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता पिता दोनों की मृत्यु हो गई है। अड़तीस सौ दस बच्चे ऐसे हैं,जिनके माता या पिता में से किसी एक की कोरोना से जान चली गई है।

लोक भवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस योजना के तहत अठारह वर्ष की आयु तक के जिन बच्चों के माता-पिता या दोनों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो गई है,उन्हेंं इस योजना के तहत चार हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। शुभारंभ के मौके पर चार हजार पचास बच्चों के बैंक खाते में चार हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से तीन माह का बारह बारह हजार रुपए जमा कराए गए।

ग्यारह से अठारह वर्ष तक की आयु के बच्चों की निशुल्क शिक्षा अटल आवासीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में कराई जाएगी। कक्षा नौ या इससे ऊपर की कक्षा में या व्यावसायिक कोर्स कर रहे अठारह वर्ष आयु तक के ऐसे बच्चों को टैबलेट या लैपटाप भी दिया जाएगा।

कोरोना काल में अनाथ हुईं लड़कियों को विवाह योग्य होने पर इस योजना के तहत एक लाख एक हजार रुपए की आर्थिक मदद मिलेगी। आनंदीबेन पटेल ने कहाकि, योजनाओं में जन सहभागिता को शामिल किया जाना चाहिए। इससे योजनाओं के परिणाम अच्छे मिलते हैं। निराश्रित बच्चों को गोद लेकर उन्हेंं घर का माहौल देना चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने कहाकि कि कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों से भी जो बच्चे अनाथ हुए हैं, उन्हें भी योजना में शामिल किया जाएगा।

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