राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल शिशुओं के पालन पोषण व बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने का आह्वान करती है। इसके साथ ही आंगनबाड़ी को मजबूत बनाने व नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी उनका जोर रहता है। एक बार फिर आनन्दी बेन ने इन सभी मुद्दों को एक उठाया। इसके दृष्टिगत विभिन्न स्तर पर सहयोग का आह्वान किया।
शिशु शिक्षा व स्वास्थ्य
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध के अनुसार अपने जीवन का सर्वाधिक अस्सी प्रतिशत ज्ञान बच्चे छह से सात वर्ष तक की आयु तक ग्रहण कर लेते हैं। इसलिए व्यक्तित्व निर्माण के लिए गर्भाधान से लेकर छह वर्ष तक की शिशु शिक्षा में आंगनवाड़ी की अहम् भूमिका है। उन्होंने कहा लम्बी अवधि के बाद शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए नई शिक्षा नीति-2020 प्राख्यापित की गई है। जिसमें बच्चों को हुनर से जोड़ने पर जोर दिया गया है।
ऐसे में गर्भाधान से छह वर्ष तक के शिशु की शिक्षा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।आनन्दी बेन पटेल भारतीय संस्कृति व ज्ञान से भी प्रेरणा लेने की बात करती है। इस संदर्भ में अभिमन्यु द्वारा मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने की शिक्षा प्राप्त कर लेने का उल्लेख भी किया। यह बताया कि गर्भाधान के समय से ही माता पिता को अपने दायित्वों का उचित निर्वाह करना चाहिए। भारतीय परंपरा में इसे भी सोलह संस्कारों में शामिल किया गया है।
प्रशिक्षण का शुभारम्भ
आनंदीबेन पटेल ने डा एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के आईईटी स्थित सभागार में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकत्री शिशु शिक्षा का केन्द्र होती है। इसलिए बच्चों के समग्र विकास के लिए आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। प्रशिक्षकों की कमी को पूरो करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों में से ही प्रशिक्षक का चयन कर प्रशिक्षण कराया जाये। उन्होंने कहा कि बालिकाएं भविष्य की माताएं हैं। इसलिए उनके उचित पोषण और स्वास्थ्य का किशोरावस्था से ही ध्यान रखा जाना चाहिए। विश्वविद्यालय स्तर पर घर की गर्भवती महिला की देखभाल सम्बन्धी शिक्षण भी दिया जाना चाहिए।
सत्र के समय तीन चार माह छोटे शिशुओं को भी प्रारम्भ में ही आंगनबाड़ी केन्द्र पर भर्ती कर लिया जाय। जिससे उनका कोई भी पाठ्यक्रम न छूटे। राज्यपाल ने कहा कि आंगनवाड़ी गर्भवती महिला से लेकर गांव के समस्त स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जुड़ी रहती हैं। ऐसे में उसके कार्य को ग्राम प्रधान से जोडकर संस्थागत प्रसवों को शत् प्रतिशत सुनिश्चित किया जाए, जिससे मातृ शिशु दर को और घटाया जा सके। उन्होंने बाल विकास विभाग को निर्देश दिया कि वे स्वास्थ्य विभाग से गांव के अस्वस्थ बच्चों का विवरण प्राप्त कर उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर व्यवस्थाए बनाएं। राज्यपाल ने छोटे बच्चों के क्षय रोग ग्रस्त हो जाने पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे बच्चों को सुचारू और बेहतर चिकित्सा के लिए गोद लिया जाये और उनके स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित किया जाये।