बीते 15 दिनों के अंदर मोदी सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर दो बड़े फैसले लिए हैं. पहला, 29 जुलाई, 2021 को मोदी सरकार ने मेडिकल शिक्षा के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में ऑल इंडिया कोटे के तहत अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था.
क्रीमी लेयर में सालाना आय की सीमा का हर 3 साल में समीक्षा करने का प्रावधान है, इसके पहले 2017 में क्रीम लेयर के अंतर्गत सालाना आय की सीमा बढ़ाकर 8 लाख की गई थी. वहीं 2013 में आय की सीमा को बढ़ाकर 6 लाख किया गया था.
सरकार द्वारा ओबीसी के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर विचार के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी रोहिणी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया है. आयोग ने अभी अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है.
पीएम मोदी ने कहा है कि संविधान का 127वां संशोधन विधेयक 2021 का दोनों सदनों में पारित होना महत्वपूर्ण क्षण है. बता दें कि इससे पहले देश के नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी मेडिकल शिक्षा में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था.
जब 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग यानी ईडब्लयूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की तो यह मांग भी उठने लगी कि मेडिकल पाठ्यक्रमों में ऑल इंडिया कोटे के तहत ईडब्ल्यूएस से आने वाले छात्रों को भी आरक्षण मिलना चाहिए. इन दोनों वर्गों के लिए आरक्षण की मांग को हर कोई सही तो मान रहा था, लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं हो पा रहा था.