नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि इस देश में आतंकी अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे संकेत दिए कि अदालत यासीन मलिक मामले में तिहाड़ जेल के भीतर ही कोर्ट रूम स्थापित करने का निर्देश दे सकती है।
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जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर सत्र अदालत के बीते साल सितंबर में दिए एक आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।
रूबिका सईद अपहरण मामले में होनी है सुनवाई
यासीन मलिक फिलहाल तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। साथ ही जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिका सईद के अपहरण के मामले में सुनवाई चल रही है, जिसमें मलिक मुख्य आरोपी है। गौरतलब है कि बीते साल जम्मू कश्मीर की सत्र अदालत ने यासीन मलिक को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ‘यासीन मलिक की कोर्ट में पेशी ऑनलाइन भी नहीं हो सकती क्योंकि जम्मू में इंटरनेट की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी नहीं है। अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था और हाईकोर्ट में उसे कानूनी मदद भी दी गई थी।’
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सीबीआई ने दी ये दलीलें
सीबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मलिक को जम्मू कश्मीर भेजने को लेकर चिंता जाहिर की। मेहता ने कहा कि यासीन मलिक कश्मीर जाने के लिए तिकड़म भिड़ा रहा है और इसी वजह से उसने मामले में कोई वकील नहीं किया है।
मेहता ने अदालत में बताया कि यासीन मलिक कोई आम अपराधी नहीं है। इसके बाद पीठ ने कहा कि वे तिहाड़ जेल में ही यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के लिए सत्र अदालत के जज को दिल्ली बुलाने पर विचार सकते हैं, लेकिन उससे पहले मामले में सभी आरोपियों की सुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 28 नवंबर के लिए टाल दी है।