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चिकित्सा सुविधा पर जोर

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

प्रदेश की वर्तमान सरकार ने मेडिकल कॉलेज निर्माण को अभियान के रूप में आगे बढ़ाया है। यही कारण है कि विगत साढ़े चार वर्षों में बत्तीस मेडिकल कॉलेजों के निर्माण का कार्य किया जा रहा है। इसी के साथ पहले से संचालित मेडिकल कॉलेजों में भी सुविधाएं बढाई जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन व्यवस्थाओं के प्रति सजग है। वह जनपदों की यात्राओं के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं का जायजा लेते है।

इसके अलावा राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल भी मेडिकल कॉलेजों में सुविधाएं बढ़ाने पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज नैक श्रेणी में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए व्यवस्थाओं की प्रगति का विश्लेषण कमेटियों के साथ करें। उत्तरदायी कमेटियों में कार्यों को विभाजित करके कार्य प्रगति की समीक्षा की जाये। जिससे तीव्र गति से कार्य सम्पन्न हो सके। उन्होंने नैक मानकों के अनुरूप विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के सुझाव दिए। इसके साथ ही उन्हें जनहित में संचालित कराने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि मूल्यांकन के आवेदन में नवाचार बढ़ाने के बिन्दु पर विश्वविद्यालय द्वारा एमबीबीएस,पोस्ट ग्रेजुएट तथा शोध छात्रों को गांवों में शिविर लगाकर निःशुल्क स्वास्थ्य जांचों के लिए भेजे जाने की व्यवस्था भी बनाने पर विचार करें। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रजोनिवृत्ति के समय और इसके उपरान्त होने वाली समस्याओं के निवारण के लिए मोबाइल वैन द्वारा उन्हें पूर्ण चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए।

आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के नैक प्रस्तुतिकरण की तैयारियों का अवलोकन किया। केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डा विपिन पुरी ने बताया कि चार वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय ने अपने प्रथम नैक मूल्यांकन में ए श्रेणी प्राप्त की थी। नियमानुसार पांच वर्ष के बाद दूसरी बार राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के समक्ष मूल्यांकन हेतु आवेदन प्रस्तुत किया जायेगा। यह इस वर्ष दिसम्बर में प्रस्तावित है।

राज्यपाल ने निर्देश दिया कि यथासम्भव सभी व्यवस्थाओं को डिजिटलाइज्ड कर लिया जाये। इसके लिए एकेटीयू से पूर्ण सहयोग प्राप्त किया जाये। इसके अलावा हिन्दी माध्यम से चिकित्सा शिक्षा में आने वाले विद्यार्थियों के लिए हिन्दी में शिक्षण की व्यवस्था विकसित किया जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय में छात्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रचलित मेंटोर मेंटी व्यवस्था की खामियों को दूर करके उसे पुनः प्रचलित करने का निर्देश दिया।

विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का विवरण और कार्यस्थल पता करके नवीन चिकित्सकों को कैरियर प्राप्त कराने की दिशा में उनसे सम्पर्क स्थापित करना चाहिए। जिससे उनके अनुभवों का लाभ लिया जा सके।

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