लखनऊ। दशलक्षण पर्व के छठे दिन बुधवार को जैन मन्दिरों में तीर्थंकर-भगवन्तों का अभिषेक, शान्तिधारा के बाद अष्टद्रव्य से पंचपरमेष्ठी (अर्हन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और दिगम्बर साधु ) का पूजन हुआ।
दशलक्षण धर्म में उत्तम संयम धर्म का पूजन विधि विधान के साथ हुआ। आशियाना जैन मन्दिर में शान्तिधारा के पुण्यार्जक संजीव जैन व संभव जैन रहे। सामूहिक पूजन एवं आरती में अध्यक्ष बृजेश जैन , शरद चन्द्र, अभय शाह, पंकज जैन, श्रीकान्त, विकास जैन, अल्पना, किरण, साधना, सरिता, जयश्री, राखी, रजनी, संगीता आदि ने सहभागिता की।
स्वाध्याय सभा में उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अभय कुमार जैन ने बताया कि संयमधर्म मोक्षमार्ग की प्रथम सीढ़ी है। मन सहित पांचो इन्द्रियों पर नियंत्रण के बिना साधना नहीं होती है।
देव और पशु संयमधर्म का पालन नहीं कर पाते केवल मनुष्य ही संयम धारणा कर साधना द्वारा आत्मशुद्धि करता है। संयम धारण कर मनुष्य नर से नारायण बन सकता है। 16- सितंबर को उत्तम तप धर्म की पूजा प्रातः 7 बजे अभिषेक, शान्तिधारा और पूजन, सायं 7:00 बजे आरती और शास्त्र सभा होगी।