राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित श्री मुरारी दिव्यांगजनों की कलाधर्मिता पर करेंगे शोध
लखनऊ। दिव्यांगजनों की कलाधर्मिता पर शोध-अध्ययन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार यदुनाथ सिंह मुरारी को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की सीनियर फ़ेलोशिप के लिए चुना गया है। इस आशय की आधिकारिक घोषणा मंत्रालय की वेबसाइट पर की गई है। कला एवं संस्कृति के संवर्द्धन में उत्कृष्टतम योगदान करने वालों को फेलोशिप दिए जाने की योजना के तहत मंत्रालय ने श्री मुरारी का चयन किया है।
उल्लेखनीय है कि संस्कृति मंत्रालय की इस फेलोशिप के तहत श्री मुरारी को दो वर्षों में अपना शोधकार्य पूरा करना होगा। स्वीकृत शोध का शीर्षक ‘दिव्यांगजनों की कला-प्रतिभा के दिव्य आयाम : एक अनुशीलन’ है। अपने चयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री मुरारी ने बताया कि दिव्यांग कला-प्रतिभा के धनी होते हैं। उनकी एकाग्रता, समर्पण, साधना और जीवटता आम आदमी से कहीं अधिक होती है। इसी कारण उनमें एक विशिष्ट कला-प्रतिभा का उदय होता है, जो अवसर पाकर परवान चढ़ती है। यह शोध-अध्ययन इन्हीं संदर्भों पर केंद्रित होगा।
सामाजिक सरोकारों से जुड़े रचनाधर्मी के रूप में श्री मुरारी की अनेक उपलब्धियाँ हैं। उनकी 20 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्ष 2002 में उन्हें भारत सरकार द्वारा सरल साहित्य लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी चार पुस्तकें राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता में पुरस्कृत हो चुकी है। वर्ष 2017 में श्री मुरारी तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक द्वारा ‘ शब्दार्थ गौरव’ सम्मान से भी अलंकृत हो चुके हैं। श्री मुरारी ने अब तक 40 से भी अधिक पुस्तकों का संपादन किया है। उन्होंने 50 से अधिक कार्यशालाओं में प्रतिभाग कर देश और समाज के लिए उपयोगी साहित्य का निर्माण किया है। उन्होंने अनेक वर्षों तक डॉ. राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय, अयोध्या के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में अध्यापन कार्य किया है। वर्तमान में वे लेखन और प्रकाशन के क्षेत्र में सक्रियता के साथ-साथ जनमाध्यम विशेषज्ञ के रूप अपने सेवाएं दे रहे हैं।
श्री मुरारी को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सीनियर फ़ेलोशिप के लिए चयनित किये जाने पर लेखकों, विचारकों, समाजसेवियों सहित समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई दी है।