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K L Saigal : गूगल ने बनाया सहगल की याद में डूडल

गूगल ने आज मशहूर गायक और अभिनेता K L Saigal (कुंदन लाल सहगल) की याद में अपना डूडल बनाया है। गूगल हमेशा से ही डूडल के माध्यम से कुछ खास लोगों को समय-समय पर याद करता रहता है।

गूगल आज मना रहा K L Saigal का 114वां जन्मदिन

आज गूगल ने अभिनेता व गायक के एल सहगल की याद में डूडल बनाया। आज उनका 114वां जन्मदिन है। गूगल ने सहगल के कैरिकेचर के जरिए उन्हें माइक के सामने गाते हुए दिखाया है। कुंदन लाल सहगल भारतीय हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार माने जाते हैं।

  • सहगल साहब का जन्म 11 अप्रैल, 1904 में को जम्मू के नवाशहर में हुआ था।
  • उनके पिता अमरचंद सहगल जम्मू शहर में तहसीलदार थे।
  • उनकी माँ केसरीबाई कौर धार्मिक क्रिया-कलापों के साथ-साथ संगीत में भी काफ़ी रुचि रखती थीं।इसलिए भी बचपन से ही सहगल का रुझान गीत-संगीत में था।
  • सहगल साहब ने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी।
  • उन्होंने संगीत एक सूफ़ी संत सलमान युसूफ से सीखे थे।
  • सहगल ने रेलवे में टाईमकीपर की मामूली नौकरी की थी । इसके बाद उन्होंने रेमिंगटन नामक टाइपराइटिंग मशीन की कंपनी में सेल्समैन के तौर पर भी काम किया।
  • सहगल को सबसे पहले 1930 में कोलकाता के न्यू थियेटर के मालिक बी.एन. सरकार ने उन्हें 200 रूपए मासिक पर अपने यहां पहला मौका दिया था ,जिसके बाद वहां इनकी मुलाकात संगीतकार आर.सी.बोराल से हुई।
कुछ खास थे सहगल
  • के एल सहगल रॉयल्टी शुरू करने वाले पहले गायक थे।
  • इनके गाने उस समय भी श्रीलंका, ईरान, इराक़, इंडोनेशिया, अफ़ग़ानिस्तान और फिजी में लोग सुना करते थे।
  • मशहूर गायक सहगल के बारे में उनके नजदीकी लोग बताते हैं कि वो अक्सर ही लोगो की मदद किया करते थे। उनके एक करीबी के अनुसार “एक बार उन्होंने पुणे में एक विधवा को हीरे की अंगूठी दे दी थी।”
  • सहगल साहब खाना बनाने आदि में भी काफी रूचि रखते थे। मुग़लई मीट डिश वह बहुत अच्छे से बना लेते थे और साथ के लोगों को भी खिलाते थे। आवाज और गले की चिंता किए बिना अचार, पकोड़ा और तैलीय चीजें भी खूब खाते थे

एक दमदार अभिनेता के एल सहगल

सहगल ने सर्वप्रथम 1932 में ‘मोहब्बत के आंसू’ नामक फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने ‘सुबह का सितारा’ और ‘जिंदा लाश’ जैसी फ़िल्में की, जिसके बाद उन्होंने बतौर गायक खुद को प्रस्तुत किया।

एक बेहतरीन गायक थे के एल सहगल

कुंदन लाल सहगल ने ‘पुराण भगत’ फिल्म से फिल्मों के दुनिया में अपना नाम कामना शुरू किया। इसके बाद 1933 में ही ‘यहूदी की लड़की’, ‘चंडीदास’ और ‘रूपलेखा’ जैसी फ़िल्मों में उन्हाेने अच्छे गायक के रुप में लोगों का ध्यान अपनी और खिंचा।

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