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जिन्ना के बहाने अखिलेश ने खेला है मुस्लिम कार्ड

       अजय कुमार

समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ऐसे ही नहीं देश के टुकड़े करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ में कसीदे नहीं पढ़े हैं। इससे होने वाले सियासी फायदे और नुकसान का उन्हें अच्छी तरह से अहसास सपा किस तरह की सियासत करती है,यह बात किसी से छिपी नहीं है।यह अखिलेश की मजबूरी भी है और सपा का चरित्र भी इसी तरह का है,जहां सपा(मुलायम) सरकार द्वारा 1990 में कारसेवकों पर गोली चलाये जाने की घटना का गुणगान किया जाता है। यह कहना अतिशियोक्ति नहीं होगा कि सपा नेता हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं।इस बात के कई उदाहरद मिल जाएंगे। 2013 में अखिलेश सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के कारण चौतरफा आलोचनाओं से घिर जाती है,लेकिन भुक्तभोगियों को इंसाफ दिलाने की बजाए वह गुनाहागारों के साथ खड़ी हो जाती है।सपा के सरकार आते ही जिस तरह से राज्य की कानून व्यवस्था बिगड जाती हैं,वह किसी से छिपा नहीं है। इस लिए सपा के शासनकाल पर सवाल उठना लाजमी है।

राज्य में सपा की सरकार आने से औसतन हर महीने 2 से ज्यादा दंगे होते हैं,जिसके लिए पूरी तौर पर सपा सरकारों की मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति जिम्मेदार होती है। 2012 में सत्ता ग्रहण करने के बार अखिलेश सरकार के कुछ फैसलों पर नजर दौड़ाई जाऐ तो पता चलता है कि जुलाई 2013 में सपा सरकार ने निर्देश दिया कि प्रत्येक थाने में कम से कम दो मुस्लिम सिपाही तैनात रहने चाहिए।सरकार की दलील थी कि ऐसा करने के पीछे उसकी मंशा है थानों पर अल्पसंख्यकों की पूरी सुनवाई हो सके। सपा के पास इस वक्त 40 मुस्लिम विधायक हैं, जबकि प्रदेश में मुस्लिम विधायकों की कुल संख्या 63 है। जून 2013 में सपा सरकार ने 2007 में लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट में शामिल 16 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की घोषणा की थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी की अखिलेश सरकार को तगड़ा झटका देते हुए प्रदेश में कई जगहों पर हुए बम विस्फोट में शामिल आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के फैसले पर रोक लगा दी थी। मई 2013 में बरेली और मुरादाबाद जिलों में मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए अखिलेश सरकार ने एक प्रमुख धर्म गुरू को सलाहकार के रूप में न्यूक्त कर एक राज्यमंत्री के बराबर का दर्जा दिया। इसी महीने 2013 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केन्द्र सरकार से मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए संसद में संविधान संशोधन विधेयक लाने की मांग की। अखिलेश सरकार ने मार्च 2013 में दो गुटों की आपसी रंजिश में मारे गये मुस्लिम डीएसपी के परिवार जनों को दो नौकरी तथा 50 लाख दिए। वहीं दूसरी तरफ सीमा पर शत्रु से लड़ते अपना सिर गवाने वाले हिन्दू सिपाही के परिवार वालों को सिर्फ 20 लाख रुपये दिए।मार्च 2013 में अखिलेश सरकार ने घोषणा की कि मुस्लिम लड़कियों कोे अनुदान दिया जाएगा,लेकिन इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया था कि निर्धन मुस्लिम लड़कियों की तरह निर्धन हिंदू लड़कियों को अनुदान देने की उसकी कोई योजना नहीं है।

अखिलेश सरकार ने सत्ता में रहते ‘हमारी बेटी उसका कल’ योजना के तहत मुस्लिम लड़कियों को तीस हजार रुपये का अनुदान उच्च शिक्षा के तहत दिया था। जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्ग में गरीब लड़कियों की शादी के लिए सिर्फ दस हजार रुपये दिये जाते थे।  मार्च 2013 में अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं के लिए वर्ष 2012-13 के बजट में वित्तमंत्री/मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2,074Û11 करोड़ रूपए की व्यवस्था प्रस्तावित की है जो वर्ष 201112 की तुलना में 81 प्रतिशत अधिक थी। मार्च 2013 में समाजवादी सरकार द्वारा उर्दू जुबान और मदरसों की चिंता करती है तथा प्रदेश में सत्तारुढ़ सपा सरकार कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए चारदीवारी बनाने, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पढ़ाई और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जरूरी उपाय किए गए।  दिसंबर 2012 में समाजवादी पार्टी ने दावा किया कि अखिलेश यादव सरकार मुस्लिम हितों पर कोई आंच नहीं आने देगी। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने सरकार का हवाला देकर कहा कि प्रदेश में गठित सभी सरकारी आयोगों, परिषदों और समितियों में अल्पसंख्यक वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए सदस्य नामित किए जाएंगे।

दरअसल, समाजवादी पार्टी का पूरा सियासी तानाबाना ही मुस्लिमों के बीच सिमटा हुआ है। इन चुनावोें में भी अखिलेश तुष्टिकरण की सियासत में रंग भरने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसकी बानगी गत दिवस हरदोई में तब देखने को मिली जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हरदोई की एक जनसभा में संबोधन के दौरान महात्मा गांधी, सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू के साथ मोहम्मद अली जिन्ना का नाम भी जोड़ दिया, इससे उत्तर प्रदेश की सियासत में बहस शुरू हो गई है। अखिलेश ने जनसभा में मोहम्मद अली जिन्ना को आजादी का नायक बताया। कहा कि भारत की आजादी के लिए उन्होंने योगदान किया था। भारतीय जनता पार्टी ने उनके इस बयान की तीखी आलोचना की है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने आरोप लगाया कि जिन्ना का महिमामंडन कर सपा प्रमुख देश तोड़ने वाली मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं। अखिलेश यादव ने जिन्ना का नाम सरदार पटेल के साथ लेकर देश की एकता और अखंडता की सोच रखने वाले करोड़ों देशवासियों का अपमान किया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि जिन्ना और जवाहरलाल नेहरू की महत्वाकांक्षा के कारण ही देश का बंटवारा हुआ। सरदार पटेल के साथ जिन्ना का गुणगान करना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश में सत्ता पाने की बेताबी में अखिलेश राष्ट्रीय हितों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। तुष्टिकरण को बढ़ावा देकर समाज को खंडित करने की कोशिश कर रहे हैं। स्वतंत्र देव ने कहा कि जनता सरदार पटेल को नीचा दिखाने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगी।

बता दें कि रविवार को हरदोई में समाजवादी विजय रथ यात्रा लेकर पहुंचे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि आज जो देश की बात कर रहे हैं वह जाति और धर्म में बांटने का काम कर रहे हैं। सरदार पटेल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्था में पढ़कर बैरिस्टर बनकर आए थे। उन्होंने आजादी दिलाई। उन्हें किसी भी तरह का संघर्ष करना पड़ा पर वे पीछे नहीं हटे। वह बोले कि एक विचारधारा…जिस पर पाबंदी लगाई थी। उसे सरदार पटेल ने लगाया था।

लब्बोलुआब यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव जो मुस्लिम वोटरों को अपनी जागिर समझते हैं,वह इस बार के विधान सभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी की इंट्री से सहमे हुए हैं, अखिलेश को डरा सता रहा है कि कहीं कुछ फीसदी वोट ओेवैसी के पाले में पड़ गया तो समाजवादी पार्टी का खेल बिगड़ सकता है। इसी लिए अभी तक मुस्लिमों को लेकर चुप्पी साधे अखिलेश ने जिन्ना के बहाने अपना मुस्लिम कार्ड चल दिया है। इसका सपा को कितना नुकसान या फायदा होगा,यह चुनाव बाद की पता चलेगा,लेकिन अखिलेश के जिन्ना वाले बयान पर ओवैसी का बयान आना बाकी है क्योंकि अखिलेश ने जिन्ना पर जो बयान दिया है उससे सबसे अधिक ओवैसी को ही चुनाव में नुकसान हो सकता है।

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