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जिला में फाइलेरिया प्रसार का पता लगाने होगा ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे

  • फाइलेरिया प्रसार की जांच के लिए 6 हजार बच्चों को किया गया चिन्हित
  • गया, शेरघाटी और कोंच में चार सदस्यों वाली 15 टीमें करेंगी जांच कार्य

गया। जिला में फाइलेरिया प्रसार का पता लगाने के लिए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे किया जायेगा. इसे लेकर शहर के जयप्रकाश नारायण अस्पताल में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, बीएचएम तथा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ कमल किशोर राय ने किया. कार्यक्रम के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक, जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीलेश कुमार, विश्व स्वास्थ्स संगठन से डॉ अरुण कुमार तथा डॉ दिलीप झा, पीसीआई से अशोक सोनी तथा गौरव कुमार एवं केयर इंडिया से अमर कुमार मौजूद रहे. सिविल सर्जन ने कहा जिला में फाइलेरिया के प्रसार का पता लगाने के लए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे का काम जिला में किया जाना है. इसके लिए सभी प्रखंड के स्वास्थ्य प्रबंधकों तथा शिक्षा पदाधिकारी को आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने निर्देश दिया कि सर्वे का काम भली भांति किया जाये ताकि जिला को फाइलेरिया मुक्त घोषित किया जा सके.

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने बताया कि फाइलेरिया प्रभाव के मद्देनजर पहले मास ड्रग एडमिन्सट्रेशन के तहत दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को लगातार पांच साल तक फाइलेरिया दवा का सेवन कराया जाता है. इसके बाद स्कूल के पहली व दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले छह से सात वर्ष आयुवर्ग के बच्चों के खून की जांच की जाती है. जिससे फाइलेरिया कार्यक्रम की सफलता का पता चल पाता है. यदि बच्चों में फाइलेरिया ट्रांसमिशन देखा जाता है तो उन्हें पुन: आवश्यक दवाई दी जाती है.

6 हजार बच्चों की खून की होगी जांच: डॉ. एमई हक ने बताया जिला में ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे के लिए 6 हजार बच्चों को चिन्हित किया गया है. इसके लिए तीन मूल्यांकन ईकाई बनाये गये हैं. मूल्यांकन ईकाईयों में गया, शेरघाटी और कोंच शामिल हैं. प्रत्येक मूल्यांकन ईकाई पर चार सदस्यों वाली पांच टीम होंगी. यानि तीनों मूल्यांकन ईकाई में कुल 15 टीम काम करेगी. 15 नवंबर से 22 नवंबर के बीच माइक्रोप्लान के अनुसार चिन्हित बच्चों के खून की जांच की जायेगी. यदि फाइलेरिया प्रसार शून्य होता है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गया को फाइलेरिया मुक्त का प्रमाण दिया जायेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी कार्यक्रम का अनुश्रवण तथा समीक्षा करेंगे. उन्होंने बताया कि जिला में वर्ष 2021 में 109 लिम्फेटिक फाइलेरिया यानि हाथी पांव तथा 27 मामले हाइड्रोसील के मिले हैं.

फाइलेरिया के लक्षण:
• हाथ, पैर तथा जननअंग में सूजन
• त्वचा का सख्त और मोटा होना
• प्रभावित हिस्से में दर्द व बेचैनी
• बुखार, कफ व सांस में तकलीफ

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