Breaking News

दिव्यांग कल्याण के लिए व्यापक प्रयास: ये सरकारी कोशिशें समाज से दिव्यांगों को क्या सम्मान दिला पाएंगी?

प्रधानमंत्री तो अपाहिजों को एक बार दिव्यांग कहकर अपने बाकी कामों में मशरूफ़ हो गए, लेकिन ऐसे कितने ही दिव्यांग हैं, जिन्हें आज भी समाज से दुत्कार मिलती है, उन्हें हीन भावना से आज भी देखा जाता है। ये सरकारी कोशिशें, भाजपा को प्रदेश में चमकाने और वोट-बैंक को बढ़ाने मात्र तक ही सीमित हैं….या फिर, सभ्य से लेकर असभ्य समाज तक में प्रचलित “ए लंगड़े”, “ओ लूले”, “अरे ओ गूंगे”, “ए बहरे”….. जैसी संज्ञाओं से दिव्यांगों को निजात भी दिलाएंगी? इन कोशिशों से दिव्यांगजन समाज में क्या वो सम्मान कभी पा सकेंगे, जिसके वो वाक़ई हक़दार हैंं?

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांग की जगह दिव्यांग संबोधन का प्रयोग किया था। उनका कहना था कि शारीरिक रूप से असक्षम लोगों में कोई न कोई दिव्य प्रतिभा अवश्य होती है। अवसर मिलने से उनकी प्रतिभा में निखार आता है। जिससे वह समाज व के सामने अपनी क्षमता को प्रमाणित भी करते है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस विचार को आगे बढाते रहे है।

ये सरकारी कोशिशें समाज से क्या सम्मान दिला पाएंगी दिव्यांगों को?

इन प्रयासों से विकलांगों के प्रति समाज की धारणा बदल रही है। दिव्यांग शब्द में एक सम्मान का भाव है। अब यह शब्द प्रचलन में आ गया है। योगी आदित्यनाथ ने भारत की ऋषि परम्परा में ऋषि अष्टावक्र व महाकवि सूरदास का उल्लेख किया। कहा कि इन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा से समाज को नई दिशा प्रदान की। उनकी भक्ति विचार व साहित्य शाश्वत रूप में प्रासंगिक रहेंगे। भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंस ने भी दिव्यांग शब्द को चरितार्थ किया है। उनकी दिव्य प्रतिभा को भी लोगों ने देखा व स्वीकार किया है। उन्होंने ब्रह्माण्ड के रहस्य पर महत्वपूर्ण शोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के पास कुछ न कुछ क्षमता अवश्य है।

‘अयोग्यः पुरुषो नास्तिः।’ कुछ भी अयोग्य नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर कुछ न कुछ गुण अवश्य होता है। इसके लिये उनको अवसर उपलब्ध कराना आवश्यक है। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। योगी आदित्यनाथ डॉ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के अटल प्रेक्षागृह में आयोजित, विभिन्न कार्याें के शिलान्यास एवं टैबलेट वितरण कार्यक्रम में सहभागी हुए। उन्होंने कहा है कि व्यक्ति के विवेक, साहस, विचार और बुद्धिमत्ता से उसकी पहचान बनती है। इनका स्थूल रूप में मूल्यांकन नहीं हो सकता। शारीरिक रूप में कठिनाई का सामना करते हुए भी, लोग जीवन में सफल हो सकते है।

यह विश्वविद्यालय दिव्यांगजनों के पुनर्वास में योगदान कर रहा है। के लिए पूरी मजबूती के साथ कार्य कर रहा है। यहां के आधे विद्यार्थी दिव्यांग व आधे सामान्य हैं। इनका परस्पर समन्वय,संवाद व सहयोग सार्थक हो रहा है। यहां अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय स्थापित होने जा रहा है। डिजिटल इंडिया अभियान को मजबूत बनाने के लिए शासन ने प्रदेश के एक करोड़ बच्चों को टैबलेट एवं स्मार्टफोन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसमें हर प्रकार के पाठ्यक्रम टैग होंगे। इसका विद्यार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा।

प्रदेश सरकार द्वारा आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स तथा औद्योगिक विकास विभाग के समन्वय से नए  प्रोग्राम के साथ इन बच्चों को जोड़ने का कार्य किया जाएगा। इससे ऑनलाइन एजुकेशन के साथ-साथ इन विद्यार्थियों को किसी परीक्षा की ऑनलाइन तैयारी के लिए भी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। वर्तमान सरकार ने दिव्यांगों की सुविधा हेतु अभूतपूर्व कार्य किये है। दिव्यांगजन पेंशन राशि तीन सौ रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर एक हजार रुपये प्रतिमाह कर दी गई है।

दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के वार्षिक बजट को लगभग दो गुना किया गया। इसी प्रकार पेंशन प्राप्त करने वालों की संख्या व उपकरण हेतु दी जाने वाली धनराशि में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। दिव्यांगजनों को परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा भी दी गयी है। दिव्यांगजनों के प्रोत्साहन के लिए राज्यस्तरीय पुरस्कार की श्रेणी में चार गुना व्रद्धि की गई। तीस उप श्रेणी बनाई गई। पुरस्कार राशि पांच गुना वृद्धि की गई है।

 

About reporter

Check Also

सपा के लिए नुकसानदेह साबित हुई कांग्रेस से दूरी, भाजपा ने उठा लिया फायदा

लखनऊ। विधानसभा की नौ सीटों के उपचुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि सपा को ...