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संस्थाओं की संवैधानिक जवाबदेही खत्म नहीं होने देंगे- शाहनवाज़ आलम

अल्पसंख्यक कांग्रेस ने पूजा स्थल अधिनियम के उल्लंघन में शामिल जजों के खिलाफ़ कार्यवाई के लिए राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

लखनऊ। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने निचली अदालतों के एक हिस्से द्वारा पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन कर देश का माहौल खराब करने की कोशिशों पर रोक लगाने और उनके खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाई सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न ज़िलों से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है।

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सरकार न्यायपालिका के एक हिस्से के सहयोग से सामाजिक सद्भाव को बिगाड़कर कर लोकतंत्र को खत्म कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह पूरी कवायद पूजा स्थल अधिनियम 1991 में बदलाव की भूमिका तैयार करने के लिए की जा रही है। जिसके तहत भाजपा अपने नेताओं से याचिकाएं डलवा रही है और सरकार की विचारधारा से सहमत जजों का एक गुट इन याचिकाओं को स्वीकार कर ले रहा है।

सबसे अहम कि निचली अदालतों द्वारा क़ानून के इस उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट, लॉ कमीशन, क़ानून मंत्रालय से ले कर राष्ट्रपति तक खामोश हैं। जबकि बाबरी मस्जिद पर दिये फैसले तक में सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा था। जिसमें किसी भी तरह का कोई छेड़छाड़ संसद भी नहीं कर सकती जैसा कि केशवानंद भारती व एसआर बोम्मई केस समेत विभिन्न फैसलों में ख़ुद सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा सरकार चाहती है कि संस्थाओं का इस हद तक संविधान विरोधी दुरूपयोग हो जाए कि मुसलमान इन संस्थाओं तक पहुँचने को व्यर्थ समझने लगे। जिससे कि इन संस्थाओं की अपनी संवैधानिक जवाबदेही स्वतः समाप्त हो जाए।

शाहनवाज़ आलम ने मुसलमानों और संविधान के पक्षधर लोगों से संवैधानिक संस्थाओं की जवाबदेही बनाये रखने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा ज्ञापन देने और उनको अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी का एहसास कराने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस के आगामी अभियानों में शामिल होने की अपील की।

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