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योगी के निर्णय का राम नाईक ने किया स्वागत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सुशासन मॉडल को व्यापक सराहना मिलती रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित अनेक विकसित देश इस मॉडल की प्रशंसा कर चुके है। ताजा प्रकरण राम नवमी व ईद में शांति को कायम रखने के साथ लाउडस्पीकर उतारने से संबंधित है। योगी आदित्यनाथ ने इस संवेदनशील मसले का जिस सहजता से समाधान किया है,उसकी कल्पना अपने को सेक्युलर बताने वाले मुख्यमंत्री नहीं कर सकते। राजस्थान,पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल आदि की सरकारें इसका उदाहरण है।

उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों के दौरान ही सौहार्द के साथ लाखों धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर उतारे गए। योगी ने सड़क पर धार्मिक आयोजन ना करने की अपील मात्र की थी। इसका भी सकारात्मक असर हुआ। आमतौर पर माना गया कि योगी आदित्यनाथ वोटबैंक सियासत से दूर है। वह राजधर्म का निर्वाह करते है। इसलिए पहले गोरक्ष पीठ व मथुरा के श्री कृष्ण मंदिर से लाउडस्पीकर उतारे गए। योगी आदित्यनाथ की इस कार्य शैली को पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने स्वागत किया है।

वह संक्षिप्त यात्रा पर लखनऊ आये थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से उनकी मुलाकात हुई। योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपने सरकारी आवास पर आमंत्रित किया था। इस दौरान योगी ने उन्हें अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के प्रारंभिक कार्यों से अवगत कराया। बताया कि संवाद स्थापित करने से सौहार्द की भूमिका में उत्तर प्रदेश में एक लाख से भी अधिक मंदिर व मस्जिदों ने लाउडस्पीकर हटाये गए है।

इसके लिए पूर्व राज्यपाल राम नाईक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष रूप से अभिनंदन किया। समस्या के सौहार्द पूर्ण समाधान पर उनको बधाई दी। अवधनामा के संपादक रहे वक़ार रिज़वी की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी किताब ‘मेरा नज़रिया,मेरी बात’ का विमोचन करने हेतु श्री नाईक लखनऊ आये थे।

राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सभी संस्करणों पर आधारित उर्दू साहित्यकार,समिक्षकों के लेखों के संग्रह के साथ ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ पुस्तक की मूल संकल्पना वक़ार रिज़वी की ही थी। योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी से भी अपने सरकारी आवास पर मुलाकात की।

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